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2 lakh teachers’ jobs in danger in UP: Supreme Court made TET compulsory across the country. Teachers said- teach or study yourself: यूपी में 2 लाख शिक्षकों की नौकरी पर संकट: सुप्रीम कोर्ट ने TET को पूरे देश में अनिवार्य किया, शिक्षक बोले- पढ़ाएं या खुद पढ़ें

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2 lakh teachers’ jobs in danger in UP: Supreme Court made TET compulsory across the country. Teachers said- teach or study yourself: यूपी में 2 लाख शिक्षकों की नौकरी पर संकट: सुप्रीम कोर्ट ने TET को पूरे देश में अनिवार्य किया, शिक्षक बोले- पढ़ाएं या खुद पढ़ें

2 lakh teachers' jobs in danger in UP: Supreme Court made TET compulsory across the country. Teachers said- teach or study yourself

यूपी में 2 लाख शिक्षकों की नौकरी पर संकट: 2 lakh teachers’ jobs in danger in UP: Supreme Court made TET compulsory across the country. Teachers said- teach or study yourselfLINK

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2 lakh teachers’ jobs in danger in UP:

यूपी में करीब 2 लाख शिक्षकों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है। जब ये शिक्षक भर्ती हुए थे, तब शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) ज़रूरी नहीं थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे अनिवार्य कर दिया गया है। इसको लेकर शिक्षकों में नाराज़गी और भविष्य को लेकर गहरी चिंता है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला और पृष्ठभूमि

मेरठ के प्राथमिक विद्यालय में तैनात सहायक अध्यापक हिमांशु राणा बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला महाराष्ट्र और तमिलनाडु के कुछ अल्पसंख्यक संस्थानों से जुड़ा हुआ था। वहाँ शिक्षकों पर TET पास करना आवश्यक कर दिया गया था। यह मुद्दा केवल उन्हीं तक सीमित था, लेकिन अदालत के फैसले ने इसे पूरे देश के लिए लागू कर दिया।

हिमांशु के अनुसार, 2 अगस्त 2010 को एनसीटीई ने गाइडलाइन जारी की थी। उसमें स्पष्ट किया गया था कि जो शिक्षक पहले से कार्यरत हैं, या जिनकी भर्ती प्रक्रिया पहले से चल रही है, उन पर यह परीक्षा लागू नहीं होगी। लेकिन 3 अगस्त 2017 को केंद्र सरकार ने नया नियम जारी कर दिया और सभी राज्यों को जानकारी दी कि 2019 तक हर शिक्षक को TET पास करना होगा। राज्य सरकारों ने इस नोटिस पर ध्यान नहीं दिया, नतीजा यह हुआ कि शिक्षक भी इस मुद्दे पर लापरवाह बने रहे।

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प्रमोशन में भी विवाद

हिमांशु बताते हैं कि उन्होंने लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है, जिसमें मांग की गई है कि बिना TET पास किए किसी शिक्षक को प्रमोशन न दिया जाए। इसके बावजूद राज्य सरकार लगातार प्रमोशन कर रही है, जबकि केंद्र सरकार का आदेश पहले से मौजूद है। इस पर विवाद बढ़ा और हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मामले पर रोक लगा दी।

आगे का रास्ता

जब हिमांशु से पूछा गया कि इस स्थिति से बचाव का क्या तरीका है, तो उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षक व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में जाएँ, तो उसका ज्यादा असर नहीं होगा। ज़रूरी है कि केंद्र और राज्य सरकारें शिक्षकों की ओर से अदालत में मजबूत पक्ष रखें। उनका कहना है कि केंद्र सरकार को शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के सेक्शन 23/2 में संशोधन करना चाहिए। इसके तहत 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को TET से छूट दी जानी चाहिए ताकि उनकी नौकरी सुरक्षित रहे। हालांकि, प्रमोशन के लिए TET पास करना अनिवार्य किया जा सकता है।

किसे होगा असर?

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हिमांशु के अनुसार, सिर्फ उत्तर प्रदेश में करीब 2 लाख शिक्षक इस फैसले से प्रभावित होंगे। पूरे देश की बात करें तो लगभग 10 लाख शिक्षक इसकी चपेट में आएँगे। इनमें से कई शिक्षक सालों से बच्चों को पढ़ा रहे हैं और उन्होंने नए सिलेबस के आधार पर खुद परीक्षा की तैयारी नहीं की है। ऐसे में उनके लिए इस परीक्षा को पास करना आसान नहीं होगा।

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