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The government should bring an ordinance to end the requirement of TET, teach children or prepare for the exam yourself: अध्यादेश लाकर टीईटी की अनिवार्यता खत्म करे सरकार, बच्चों को पढ़ाएं या खुद परीक्षा की तैयारी करें

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The government should bring an ordinance to end the requirement of TET, teach children or prepare for the exam yourself: अध्यादेश लाकर टीईटी की अनिवार्यता खत्म करे सरकार, बच्चों को पढ़ाएं या खुद परीक्षा की तैयारी करें

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अध्यादेश लाकर टीईटी की अनिवार्यता खत्म करे सरकार, जंतर-मंतर पर अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की अध्यक्षता में 22 राज्यों के संगठनों ने भरी हुंकार

पहली से आठवीं कक्षा के वर्ष 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए अनिवार्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करने के मुद्दे पर 22 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के शिक्षकों ने सोमवार को दिल्ली में प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया। शिक्षक संगठनों ने केंद्र सरकार से शीतकालीन सत्र में अध्यादेश लाकर टीईटी अनिवार्य के आदेश में संशोधन करने की मांग रखी है।

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जंतर-मंतर पर अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में शिक्षकों ने हुंकार भरी और मांगें न मानने पर दिल्ली घेराव का अल्टीमेटम भी दे दिया। उनका कहना है, एनसीटीई के गलत फैसले से 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं जिनमें सबसे अधिक 1.86 लाख शिक्षक यूपी के हैं।

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अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने कहा, टीईटी के खिलाफ जंतर-मंतर पर आयोजित धरना प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, बिहार, राजस्थान, झारखंड, दिल्ली, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों के सेवारत शिक्षक एकजुट हुए हैं। सालों सेवाएं देने के बाद अचानक एक फैसले से उनकी पढ़ाने की काबिलियत पर सवाल उठ गए हैं। जबकि समय-समय पर विभिन्न राज्यों के प्रदेश शिक्षा विभाग शिक्षकों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए ट्रेनिंग देता रहा है।

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उन्होंने कहा, हमारी मांग है कि संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार

अध्यादेश लाकर आदेश में संशोधन करे। सरकार से शिक्षकों के हितों की रक्षा करने की मांग दोहराई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शिक्षक सड़कों पर आने का विवश हो गए हैं। इस विरोध के बाद, शिक्षक अपने स्कूलों में जाकर काली पटटी बांधकर कक्षाएं लेंगे लेकिन हमें शीतकालीन सत्र में आदेश में संशोधन का इंतजार रहेगा।

बच्चों को पढ़ाएं या खुद परीक्षा की तैयारी करें: bring an ordinance

शिक्षक संगठनों का कहना है कि वर्ष 2011 से पहले भर्ती होने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी की कोई अनिवार्य शर्त नहीं थी। यदि होती तो वे उस समय अनिवार्य पात्रता परीक्षा पास करते। अब अचानक 2025 में शिक्षकों को टीईटी अनिवार्य का फैसला थोपा गया है। ऐसे में वे बच्चों को पढ़ाएं या फिर अपनी परीक्षा की तैयारी करें। उदाहरण के तौर पर मोहन लाल की आयु 53 साल है, अब उन्हें नौकरी बचाए रखने में परीक्षा देनी होगी। एक अनुमान के मुताबिक, टीईटी लागू होने से देशभर में लगभग 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं।

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