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In the new education policy, science is one, then why is there a separate post of biology teacher in the advertisement: High Court: नई शिक्षा नीति में विज्ञान एक तो विज्ञापन में जीव विज्ञान के शिक्षक का अलग पद क्यों : हाईकोर्ट

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In the new education policy, science is one, then why is there a separate post of biology teacher in the advertisement: High Court: नई शिक्षा नीति में विज्ञान एक तो विज्ञापन में जीव विज्ञान के शिक्षक का अलग पद क्यों : हाईकोर्ट

In the new education policy, science is one, then why is there a separate post of biology teacher in the advertisement: High Court: नई शिक्षा नीति में विज्ञान एक तो विज्ञापन में जीव विज्ञान के शिक्षक का अलग पद क्यों : हाईकोर्ट

In the new education policy, science is one, then why is there a separate post of biology teacher in the advertisement: High Court

प्रयागराज। In the new education policy, science is one, then why is there a separate post of biology teacher in the advertisement: High Court

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक भर्ती को लेकर सरकार से जवाब तलब किया है। पूछा है कि 1998 की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विज्ञान की सभी शाखाओं (जीव, भौतिक, रसायन) को संयुक्त रूप से विज्ञान विषय घोषित किया गया है तो सहायक अध्यापक के लिए जारी विज्ञापन में जीव विज्ञान के लिए अलग से पद क्यों विज्ञापित किया गया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति अरुण कुमार की खंडपीठ ने संतोष कुमार पटेल व अन्य की याचिका पर दिया है।

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मामला लोक सेवा आयोग की ओर से 28 जुलाई 2025 को एलटी ग्रेड के

सहायक अध्यापक भर्ती के लिए जारी विज्ञापन से जुड़ा है। विज्ञापन में सहायक अध्यापक (विज्ञान) और (जीव विज्ञान) के पद अलग-अलग विज्ञापित किए हैं। इसके खिलाफ ऐसे अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है जिन्होंने जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन और भौतिक विज्ञान से स्नातक उत्तीर्ण किया है।

याचियों की दलील है कि 28 मई 1998 को माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सभी विद्यालयों को पत्र जारी कर यह स्पष्ट कर दिया था कि हाईस्कूल स्तर पर केवल एक ही विज्ञान पेपर होगा। इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र को मिलाकर ‘सामाजिक विज्ञान’ विषय बनाया गया। इसके विज्ञापन में भी कोई अलगाव नहीं किया गया है लेकिन अब विज्ञान के मामले में अलग-अलग योग्यता तय कर दी गई है जो भेदभावपूर्ण है।

कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए सरकार से 10 दिनों के भीतर जवाबी हलफनामा तलब किया है। अब मामले की सुनवाई 16 सितम्बर को होगी। संवाद

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