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Let alone killing children, even looking at them is a crime: बच्चों को मारना तो दूर आंख दिखाना भी अपराध

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Let alone killing children, even looking at them is a crime: बच्चों को मारना तो दूर आंख दिखाना भी अपराध

Let alone killing children

♡•☆𝘳ℯᵃ₫Եⲏĩ𝐬♡•☆👋: One lakh schools in the country have a single teacher, with 33.76 lakh students studying there: देश के एक लाख स्कूल में एकल शिक्षक, पढ़ रहे 33.76 लाख छात्र

बच्चों को मारना तो दूर आंख दिखाना भी अपराध लखनऊः Let alone killing children

प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को मारना, डराना या डांटना तो दूर, उन्हें -धमकाने के अंदाज में आंख दिखाना भी अपराध माना जाएगा। किताब या सी हैं। इसका शासनादेश 12 मार्च को लिए न कापी न लाने पर बच्चों को कक्षा र में खड़ा करने जैसी सजा भी अब र पूरी तरह प्रतिबंधित है। सुप्रीम कोर्ट ए के आदेशों के अनुपालन में बेसिक त्र शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को सभी ऊ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को णि शासनादेश का हवाला देते हुए इस के संबंध में सख्त निर्देश जारी किए संह जारी हुआ था। अब इसकी कड़ाई है। से निगरानी की जाएगी।

Let alone killing children:

निर्देशों में कहा गया है कि निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा पर का अधिकार अधिनियम-2009, बाल संरक्षण आयोग के दिशा निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों 11 के तहत हर विद्यालय में बच्चों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित किया जाए। इसमें स्पष्ट किया गया है कि शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक या लैंगिक उत्पीड़न किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।

इनमें बच्चों को मारना-पीटना, अपमानित करना, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव करना, अनुचित टिप्पणी की करना या सहपाठी द्वारा किए गए उत्पीड़न को नजरअंदाज करना

Let alone killing children

किताब-कापी नहीं लाने पर कक्षा में खड़ा करना प्रतिबंधित: Let alone killing children

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बेसिक शिक्षा विभाग सख्त

आदि अन्य कई प्रकार भी शामिल है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि शासनादेश की साफ्ट कापी सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों और प्रबंधकों तक पहुंचाई जाए।

साथ ही छात्रों को भी आरटीई एक्ट-2009 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 में दिए गए प्रविधानों से परिचित कराया जाए, ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सकें और किसी भी प्रकार के उत्पीड़न या भेदभाव की स्थिति में शिकायत दर्ज करा सकें।

विभाग ने साफ कहा है कि यदि किसी विद्यालय में बच्चों के साथ भेदभाव या अनुशासन के नाम पर दंड देने की शिकायत पाई गई, तो संबंधित शिक्षक या प्रबंधक के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। विद्यालयों में पठन-पाठन से जुड़ी बच्चों, अभिभावकों या आम जनता की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए जून 2024 में टोल फ्री नंबर 1800-889-3277 शुरू किया गया था।

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