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Question on TET order in Uttar Pradesh: Controversy over old appointments of Basic Education Department: उत्तर प्रदेश में टीईटी आदेश पर सवाल: बेसिक शिक्षा विभाग की पुरानी नियुक्तियों पर विवाद

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Question on TET order in Uttar Pradesh: Controversy over old appointments of Basic Education Department: उत्तर प्रदेश में टीईटी आदेश पर सवाल: बेसिक शिक्षा विभाग की पुरानी नियुक्तियों पर विवाद

Question on TET order in Uttar Pradesh: Controversy over old appointments of Basic Education Department: उत्तर प्रदेश में टीईटी आदेश पर सवाल: बेसिक शिक्षा विभाग की पुरानी नियुक्तियों पर विवाद

उत्तर प्रदेश में टीईटी आदेश : Question on TET order in Uttar Pradesh: Controversy over old appointments of Basic Education Department:

LINK: Respect the decision of the Supreme Court, the role of the government is important: Instructions to the teacher community: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करें, सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण: शिक्षक समुदाय को निर्देश

Question on TET order in Uttar Pradesh: Controversy over old appointments of Basic Education Departmen

उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में TET (शिक्षक पात्रता परीक्षा) को लेकर एक नया विवाद उभर गया है। केंद्र सरकार द्वारा 23 अगस्त 2010 को शिक्षा का अधिकार अधिनियम केंद्रीय शिक्षण संस्थानों के लिए लागू किया गया था, जिसमें राज्य सरकारों को एक वर्ष का समय दिया गया था कि वे भी इस अधिनियम को लागू करें। इसी के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने 27 जुलाई 2011 को अधिनियम को लागू किया।

मगर इस पूरी प्रक्रिया में यह सवाल खड़ा होता है कि जिन शिक्षकों की नियुक्ति इस अधिनियम के लागू होने से पहले हुई है, उन पर टीईटी का आदेश किस आधार पर लगाया जा सकता है? बेसिक शिक्षा विभाग में जो नियुक्तियां अधिनियम लागू होने से पहले हुई थीं, उन्हें टीईटी की बाध्यता में क्यों खड़ा किया जा रहा है?

Question on TET order in Uttar Pradesh: Controversy over old appointments of Basic Education Department

उत्तर प्रदेश सरकार ने पहली शिक्षक पात्रता परीक्षा नवंबर 2011 में आयोजित की थी। तब तक टीईटी नाम की कोई व्यवस्था ही नहीं थी। ऐसे में शिक्षकों का कहना है कि अधिनियम लागू होने के बाद नियुक्तियों को प्रभावित करना व्यवहारिक नहीं प्रतीत होता। वे इसे मनमाना फैसला मानते हुए न्यायिक पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं।

शिक्षक संगठनों और प्रभावित शिक्षकों के अनुसार, आधुनिक परीक्षा व्यवस्था लागू करने का निर्णय समझदारी से लिया जाना चाहिए जिससे पुराने नियुक्त शिक्षकों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा हो सके।

यह विवाद अब शिक्षा विभाग, शासन एवं न्यायिक निकायों के बीच एक अहम मुद्दा बन चुका है, जिससे प्रभावित शिक्षक समाज में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

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