TET 2026: Clouds of crisis loom over Uttar Pradesh TET, with the commission’s chair vacant: growing anxiety among 1.86 lakh teachers in UP: TET 2026 : उत्तर प्रदेश टीईटी आयोजन पर संकट के बादल और आयोग की कुर्सी खाली: यूपी के 1.86 लाख शिक्षकों की बढ़ी बेचैनी

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Uttar Pradesh TET
उत्तर प्रदेश टीईटी संकट: सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आयोग की अनिश्चितता:
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कार्यरत बिना शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) उत्तीर्ण किए हुए लगभग 1.86 लाख शिक्षकों के लिए यह समय गहरी चिंता और अनिश्चितता भरा है। इसका मुख्य कारण एक तरफ सुप्रीम कोर्ट का कड़ा फैसला है, तो दूसरी तरफ परीक्षा आयोजित करने वाले नए आयोग की निष्क्रियता।
सुप्रीम कोर्ट का अनिवार्य आदेश: ‘दो साल में टीईटी पास करें’
1 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया जिसने लाखों शिक्षकों के भविष्य को सीधे तौर पर प्रभावित किया है:
Uttar Pradesh TET:
टीईटी की अनिवार्यता: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में सेवा में बने रहने के लिए सभी शिक्षकों को टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य है।
समय-सीमा: कार्यरत शिक्षकों को यह योग्यता हासिल करने के लिए दो वर्ष का समय दिया गया है। यदि वे इस अवधि में टीईटी पास नहीं करते हैं, तो उनकी नौकरी पर संकट आ सकता है।
यह फैसला उन शिक्षकों पर लागू होता है जो शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून लागू होने से पहले नियुक्त हुए थे और उन्हें टीईटी से छूट मिली हुई थी।
प्रशासनिक अवरोध: परीक्षा कराने वाले आयोग में नेतृत्व का अभाव
जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों को योग्यता हासिल करने के लिए समय दिया है, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (UPESC) में पूर्णकालिक नेतृत्व न होने से टीईटी परीक्षा के आयोजन पर प्रश्नचिह्न लग गया है:
नया परीक्षा निकाय: उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) का आयोजन पहली बार उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को कराना है। इससे पहले यह जिम्मेदारी परीक्षा नियामक प्राधिकारी (PNP) के पास थी।
अध्यक्ष का त्यागपत्र: आयोग में पूर्णकालिक अध्यक्ष की अनुपस्थिति सबसे बड़ी बाधा है।

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1 अगस्त को जिस अध्यक्ष ने टीईटी 2026 की प्रस्तावित तिथियाँ 29 और 30 जनवरी 2026 घोषित की थीं, उन्होंने 26 सितंबर को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
परीक्षा की अनिश्चितता: वर्तमान में आयोग में कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है। ऐसे में, अब नए पूर्णकालिक अध्यक्ष को ही इस बात का अंतिम निर्णय लेना होगा कि क्या परीक्षा निर्धारित तिथि पर कराई जाएगी या इसे टाला जाएगा। इस प्रशासनिक शून्यता ने 1.86 लाख शिक्षकों की चिंता को और बढ़ा दिया है।
शिक्षक संगठनों की प्रतिक्रिया और मांग
शिक्षकों और उनके संगठनों ने इस स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है:
पुनर्विचार की मांग: बिना टीईटी वाले कार्यरत शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं। प्रदेश सरकार भी उनके हित में खड़ी है और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार की मांग के साथ गई है।
तैयारी जारी: चूंकि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय आना बाकी है, इसलिए शिक्षक अपनी नौकरी बचाने के लिए टीईटी की तैयारी में सक्रियता से जुट गए हैं।
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दो अवसर की मांग: उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने स्पष्ट कहा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक परीक्षा के आयोजन को लेकर स्थिति स्पष्ट की जाए। उनकी मुख्य मांग है कि दो वर्ष की समय-सीमा के भीतर कम से कम दो बार टीईटी परीक्षा आयोजित की जाए, ताकि शिक्षकों को यह योग्यता प्राप्त करने के लिए पर्याप्त दो अवसर मिल सकें।
संक्षेप में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से योग्यता प्राप्त करने की अनिवार्यता है, लेकिन आयोग में अध्यक्ष न होने से योग्यता प्राप्त करने का अवसर अधर में लटका हुआ है।
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