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Constitutional right for transgender people to change their name and gender in educational documents: ट्रांसजेंडर को शैक्षिक दस्तावेज में नाम और लिंग परिवर्तन कराने का सांविधानिक अधिकार

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Constitutional right for transgender people to change their name and gender in educational documents: ट्रांसजेंडर को शैक्षिक दस्तावेज में नाम और लिंग परिवर्तन कराने का सांविधानिक अधिकार

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ट्रांसजेंडर को शैक्षिक दस्तावेज में नाम और लिंग परिवर्तन कराने का सांविधानिक अधिकार

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडर को शैक्षिक दस्तावेज में नाम और लिंग परिवर्तन कराने का सांविधानिक अधिकार है। इसे नकारना ट्रांसजेंडर के अधिकारों का व्यवस्थित बहिष्कार है। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को आठ हफ्ते में शाहजहांपुर निवासी ट्रांसजेंडर के शैक्षिक दस्तावेज में नाम और लिंग परिवर्तन करने का आदेश दिया है।

महिला से पुरुष बने याची ने शैक्षिक प्रमाणपत्रों में नाम और लिंग परिवर्तन के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद बरेली में आवेदन किया था। क्षेत्रीय सचिव ने आठ अप्रैल 2025 को यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि विलंब से नाम परिवर्तन का कोई प्रावधान नहीं है। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

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याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एचआर मिश्रा, राजेश कुमार यादव, अश्वनी कुमार शर्मा ने दलील दी कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम-2019 ट्रांसजेंडर के लिए विशेष अधिकार प्रदान करता है। इसे नकारना संविधान के समानता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से पारित आदेश को रद्द कर दिया।

संविधान में समानता की गारंटी केवल किताबों में नहीं, बल्कि जीवन के अनुभवों में मूर्त होनी चाहिए। ट्रांसजेंडर को शैक्षिक और रोजगार अवसरों तक समान पहुंच देना राज्य का सांविधानिक दायित्व है। – हाईकोर्ट

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