Bal Kavita Sangrah : Bachchon ke liye pyari Hindi bal kavitayein jaise Padte Jao, Titli, Badal, Machhli, Jharna aur Ghar. Ye kavitaen colourful images ke saath padhai aur sanskaar dono sikhati hain.
Bal Kavita Sangrah
Bal Kavita Sangrah बच्चों की दुनिया को रंगों, कल्पना और सीख से भरने वाला एक सुंदर संग्रह है, जिसमें सरल भाषा, मधुर तुकबंदी और जीवन से जुड़े विषयों पर आधारित कविताएँ शामिल हैं। यह संग्रह बच्चों को पढ़ने की आदत डालने के साथ-साथ नैतिक मूल्यों, प्रकृति प्रेम, पारिवारिक रिश्तों और दैनिक जीवन की अच्छी आदतों से परिचित कराता है। Bal Kavita Sangrah न केवल बच्चों के लिए मनोरंजक है, बल्कि अभिभावकों और शिक्षकों के लिए भी एक उपयोगी साधन है, जिससे वे बच्चों की भाषा-विकास और रचनात्मक सोच को मजबूत बना सकते हैं।
पढ़ते जाओ
पढ़ते जाओ, पढ़ते जाओ,
सबसे आगे बढ़ते जाओ।
पढ़ने से ही ज्ञान मिलेगा,
गुरु से विद्या-दान मिलेगा।
विद्या तो बेकार न होती,
पढ़े लिखों की हार न होती।
आसमान पर चढ़ते जाओ,
सबसे आगे बढ़ते जाओ।
मैया देखो बैठी मैना
मैया देखो बैठी मैना,
कितने प्यारे इसके नैना।
मैंने उसको घर लाया,
भैया ने फिर शोर कराया।
झूमकर मैना नाच दिखाए,
मीठे-मीठे गीत सुनाए।
बिल्ली गई दिल्ली
बिल्ली गई दिल्ली,
दिल्ली में मिला बंदर,
जिसका नाम था सुंदर,
सुंदर ने खाया चुकंदर।
बिल्ली गई दिल्ली,
दिल्ली में मिला भालू,
जिसका नाम था कालू,
कालू ने खाया आलू।
बिल्ली का नाम था शालू।
गाओ गीत
आओ बच्चो गाओ गीत।
मिलने जुलने में है प्रीत।
होगा जग में ऊँचा नाम।
करें हमेशा अच्छे काम।
सत्य, प्रेम को हम अपनाएँ।
सबके ही प्यारे बन जाएँ।
आसमान धरती का मीत।
आओ बच्चो गाओ गीत।
तितली
तितली सुबह-सुबह उड़ जाती,
यह फूलों पर मँडराती है।
रंग-बिरंगे पंख हैं इसके,
यह सबके मन को भाती है।
बादल
गरज-गरज कर बादल आए,
बारिश और खुशहाली लाए।
झूम-झूम के भरे उमंग,
उड़ते चले हवा के संग।
घर
चूहा रहता बिल के अंदर,
मछली का घर बड़ा समंदर।
मकड़ी बुनती अपना जाल,
छत्ता मधुमक्खी का विशाल।
घर देता सबको आराम,
चाहे सुबह हो चाहे शाम।
मछली
मछली जल की है रानी,
छप-छप करती खूब सयानी।
अलग-अलग से रंग हैं तेरे,
साथी तेरी ऊँची लहरें।
पानी में तो राज है तेरा,
सात समंदर तेरा बसेरा।
लाला जी ने केला खाया
लाला जी ने केला खाया,
केला खाके मुँह पिचकाया।
मुँह पिचकाके दाँत फुलाया,
दाँत फुलाके कदम बढ़ाया।
कदम के नीचे छिलका आया,
लाला जी गिर पड़े धड़ाम।
हड्डी-पसली दोनों टूटी,
मुँह से निकला – हाय राम!
झरना
झर-झर करता झरना बहता,
ऊपर से है पानी गिरता।
मोती जैसी बूँदें निखरे,
इधर-उधर गिरते ही बिखरे।
मन को खुश कर जाता झरना,
पानी खूब बहाता झरना।
कसरत
कसरत करना अच्छी बात,
करो सुबह, जब बीते रात।
खुली हवा में हो व्यायाम,
फुर्ती से फिर होता काम।
तन-मन में ये भरे उमंग,
लाभ उठाएँ मिल के संग।
मेरी पतंग
ऊपर उड़ती मेरी पतंग,
हवा में तेरे डोर के संग।
आसमान में ऊपर जाती,
मटक-मटक कर यह लहराती।
जब आती है पेच की बारी,
कटकर गिरती पतंग बेचारी।
चंदा मामा
चंदा मामा खूब निराले,
बच्चे जिसके हैं मतवाले।
तारों के संग खूब चमकते,
हम सब जब अंगड़ाई भरते।
कभी गोल कभी आधे दिखते,
हर दिन अपना रूप बदलते।
दीपावली
बच्चो दौड़कर जल्दी आओ,
सब मिलकर अब दीप जलाओ।
घर सजाओ, रंगोली बनाओ,
मित्रों को उपहार दे आओ।
पूजा करके खाओ मिठाई,
शुभ दीपावली आज है आई।
रेल
आओ भाई खेलें खेल,
चलती है अब अपनी रेल।
हम इंजन हैं भक-भक करते,
हम डिब्बे हैं छुक-छुक करते।
सीटी देती चलती रेल,
कैसा बढ़िया है यह खेल।
दिल्ली जाने वाले आएँ,
तनिक देर में हम पहुँचाएँ।
आलू
गोल-गोल सा मेरा चेहरा,
आलू नाम पड़ा है मेरा।
हर सब्जी में मैं मिल जाता,
बड़े चाव से खाया जाता।
दुनिया भर में मैं मिलता हूँ,
मिट्टी के अंदर उगता हूँ।
रंगों का संसार
तितली होती रंग-बिरंगी,
इंद्रधनुष दिखे सतरंगी।
पीले-हरे पेड़ के पत्ते,
नीले नभ में पंछी उड़ते।
दूध सफेद, लाल अनार,
रंगों का अनोखा संसार।
मोर
बड़ा निराला पक्षी मोर।
उड़ने में बिल्कुल कमजोर।
दो पैरों पर दौड़ लगाता,
थोड़ा-थोड़ा सा उड़ पाता।
इसके पंख बड़े ही प्यारे,
रंग-बिरंगे, न्यारे-न्यारे।
बादल देख-देख हर्षाता,
अपना सुंदर नाच दिखाता।
यह सबके मन का चितचोर,
बड़ा निराला पक्षी मोर।
दादा-दादी
मेरे दादा-दादी अच्छे,
प्यार सदा ही मुझको करते।
मेरी सारी बातें सुनते,
ज़ोर से फिर दोनों हँस देते।
जब रोती हूँ पास बुलाते,
गुदगुदी कर मुझे खूब हँसाते।

Bal Kavita Sangrah ka Mahatva
Bal Kavita Sangrah बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के चरण में भाषा से जोड़ने का एक प्रभावी माध्यम है। तुकांत शब्द, रोचक विषय और चित्रों के साथ प्रस्तुत कविताएँ बच्चों की स्मरण शक्ति को मजबूत बनाती हैं और उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
Bal Kavita Sangrah se Bachchon ko Kya Seekh Milti Hai
इन कविताओं के माध्यम से बच्चे अच्छे व्यवहार, परिश्रम, प्रकृति-प्रेम, परिवार के प्रति सम्मान और सामाजिक मूल्यों को सहज रूप में समझते हैं। Bal Kavita Sangrah बच्चों में आत्मविश्वास, कल्पनाशक्ति और रचनात्मक सोच को भी बढ़ाता है।
Shikshak aur Abhibhavakon ke Liye Upyogi
Bal Kavita Sangrah शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। इसके माध्यम से वे बच्चों को पढ़ाई के प्रति रुचि विकसित कर सकते हैं और कक्षा या घर में सीखने का वातावरण अधिक रोचक बना सकते हैं।
Nishkarsh
कुल मिलाकर, Bal Kavita Sangrah बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। यह न केवल मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि बच्चों को जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों से भी परिचित कराता है।















