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शब्दों के भेद(वर्गीकरण), परिभाषा एवं प्रकार [Shabdo ke bhed, Paribhasha evam Prakar]

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शब्दों के भेद(वर्गीकरण)||परिभाषा एवं प्रकार||Shabdo ke bhed||Paribhasha evam Prakar||अर्थ की दृष्टि से शब्द भेद(Arth ki drishti se shabd bhed)||उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द भेद(Utpatti ki drishti se shabd bhed)||रचना की दृष्टि  से शब्द भेद(Rachna ki drishti se shabd bhed)||प्रयोग की दृष्टि से शब्द भेद(Prayog ki drishti se shabd bhed)||

शब्दों के भेद(वर्गीकरण), परिभाषा एवं प्रकार [Shabdo ke bhed, Paribhasha evam Prakar]

Table of Contents

शब्द की परिभाषा(Shabd Ki Paribhasha)

दो या दो से अधिक वर्णो से बने ऐसे समूह को ‘शब्द’ कहते है, जिसका कोई सार्थक अर्थ निकल रहा हो। दूसरे शब्दों में वर्णों के सार्थक ध्वनि समूह को शब्द कहते हैं।

पद की परिभाषा(pad ki paribhasha)

जब कोई वर्ण समूह अकेला ही प्रयुक्त होता है तब तो वह शब्द कहलाता है परन्तु जब किसी वर्ण समूह का प्रयोग किसी वाक्य में किया जाता है एवं समूहों से वह अपना संबंध स्थापित कर लेता है, तब वह पद कहलाता है, जैसे ‘पुस्तक’ एक शब्द है, और “राम पुस्तक पढता है।” इस वाक्य में ‘पुस्तक’ पद है।Shabdo ke bhed

 शब्दों का वर्गीकरण(shabdo ka vargikaran)

उत्तर शब्दों के भेद निम्नलिखित हैं

1. अर्थ की दृष्टि से शब्द भेद 2. उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द भेद  3. रचना की दृष्टि से शब्द भेद 4.वाक्य में प्रयोग की दृष्टि से शब्द भेद ।

1. अर्थ की दृष्टि से शब्द भेद(Arth ki drishti se shabd bhed)

अर्थ की दृष्टि से शब्द के दो भेद होते हैं-(क)सार्थक  शब्द, (ख) निरर्थक शब्द।

(क) सार्थक शब्द(Sarthak shabd)

जो शब्द किसी अर्थ का बोध कराते हैं उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं। जैसे- माता, भाई, पुस्तक, भोजन आदि। सार्थक शब्दों को चार भागों में बाँटा जा सकता है-
एकार्थी शब्द कहलाते हैं। जैसे- गाय, कलम, लोहा आदि।

(i) एकार्थी शब्द(ekarthi shabd)

जिन शब्दों का प्रयोग केवल एक ही अर्थ में किया जाता है,

(ii ) अनेकार्थी शब्द(Anekarthi shabd)

जो शब्द प्रयोग के अनुसार विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न अर्थ देते हैं, उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं। जैसे- आम-फल विशेष, मामूली, साधारण।
हंस-घोड़ा, पक्षी विशेष, सूर्य, श्वेत।

(iii ) समानार्थीं या पर्यायवाची शब्द(Samanarthi shabd)

जिन शब्दौं के अर्थ में समानता हो उ समानार्थी या पर्यायवाची शब्द कहते हैं। जैसे-
आग-अग्नि, जलन, वेदना, संताप, अनल, पावक।

(iv) विपरीतार्थक या विलोम शब्द (Vilom shabd)

विपरीत अर्थ को प्रकट करने वाले शबद विपरीतार्थक या विलोम शब्द कहलाते हैं।

जैसे-
अमृत-विष
अगला-पिछला
सुलभ-दुर्लभ
सामयिक-असामयिक

(v)समश्रुति भिन्नार्थक शब्द (samshruti bhinnarthak shabd)

हिन्दी भाषा में अनेक शब्द देखने को मिलते हैं जो प्रायः सुनने या पढ़ने में तो समान लगते हैं लेकिन उनके अर्थ में भिन्नता पाई जाती है। यदि उनके उच्चारण में थोड़ी से त्रटि हो जाए और लिखने में वही त्रुटि दोहरा दी जाए, तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है।

ऐसे शब्द, जो सुनने तथा पढ़ने में समान लगते हैं लेकिन अर्थ में भिन्नता पाई जाती हैं, उन्हें ‘ समश्रुति भिन्नार्थक शब्द’ कहते हैं।

(vi) वाक्यांश के लिए एक शब्द(Vakuansh ke liye ek shabd)

भाषा को रोचक तथा प्रभावशाली बनाने के लिए हिन्दी में कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जो वाक्यांशों के लिए रोचक बनाने हेतु प्रयोग किये जाते हैं। इन्हें ‘ शब्द समूह के लिए एक शब्द’ भी कहते हैं।
जिसकी आराधना की जाए-आराध्य
जीवन भर का सम्बन्ध-आजीवन

2. उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द भेद(Utpatti ki drishti se shabd bhed)

उत्पत्ति के आधार पर शब्द चार प्रकार के होते हैं-

(i) तत्सम शब्द, (ii) तद्भव शब्द, (i) देशज शब्द, (iv) विदेशी शब्द।

(i) तत्सम शब्द(Tatsam shabd)

संस्कृत भाषा के जो शब्द बिना किसी परिवर्तन के हिन्दी भाषा में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तत्सम् शब्द कहते हैं; जैसे – अधीन, उत्सव, हानि।

(ii ) तद्भव शब्द(Tatbhav shabd)

संस्कृत भाषा से हिन्दी में आए हुए वे शब्द जो अपने बदले हुए रूप में प्रयोग होते हैं, वे तद्भव शब्द कहलाते हैं ।

(iii ) देशज शब्द(deshaj shabd)

हिन्दी में प्रचलित वे शैब्द जो देश की विभिन्न बोलियों के द्वारा हिन्दी भाषा में स्थान पा गये हैं, वे देशज शब्द कहलाते हैं। जैसे- रोटी, बेटी,
घोंसला आदि।

(v) विदेशी शब्द (Videsh shabd)

जो शब्द संसार की विभिन्न भाषाओं से हन्दी भाषा में आ गये हैं, वे विदेशी शब्द कहलाते हैं। जैसे – कँची, कुली, कम्प्यूटर, डॉक्टर, मोटर, पलिस, टोस्ट, चॉकलेट, टिकट, किताब, ईमान, हकीम, हलवाई, दरबार, औरत, जिला, आदमी, जल्दी, अनार, खरीद, तोप, बारूद, दरोगा, बहादुर आदि ।

3. रचना की दृष्टि  से शब्द भेद(Rachna ki drishti se shabd bhed)

रचना की दुृष्टि से शब्दों के तीन भेद होते हैं-
(i) रूढ़ शब्द, (i) यौगिक शब्द, (i) योगरूढ़ शब्द।

(i) रूढ़ शब्द(Rudh Shabd)

जो शब्द किसी अन्य शब्दों के योग से नहीं बनते, अपितु परम्परा से किसी विशेष अर्थ में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें रूढ़ कहते हैं। ऐसे शब्द किन्हीं विशेष अथों में प्रसिद्ध हो जाते हैं; जैसे- मोर, तोता, थोड़ा, नाक, कान आदि।

इन शब्दों के सार्थक शब्द खण्ड नहीं किये जा सकते हैं। ऐसे शब्द खण्ड कर देने पर निरर्थक हो जाते हैं।

(ii ) यौगिक शब्द(Yaugik Shbad)

जो शब्द अन्य शब्दों के योग से बनते हैं वे यौगिक शब्द कहलाते हैं। इस प्रकार के शब्द सन्धि, समास, उपसर्ग अथवा प्रत्यय से बनते हैं। इन शब्दों के सार्थक खण्ड किये जा सकते हैं।

जैसे -सेनापति (सेना + पति), सुगन्ध (सु+ गन्ध), रसोईघर (रसोई + घर), प्रतिदिन (प्रति + दिन) आदि।

(iii ) योगरूढ़ शब्द(Yog rudh Shabd)

योगरूढ़ दो शब्दों के मेल से बने, ऐसे शब्द सामान्य अर्थ को न प्रकट कर विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं; जैसे- पंकज का अर्थ है, कीचड़ में जन्मा, किन्तु पंकज शब्द केवल कमल के लिए रूढ़ हो गया । अत: यह यौगिक होते हुए भी योगरूढ़ है। इसी प्रकार चारपाई का अर्थ है चार पायों वाली यह शब्द खाट के लिए योगरूढ़ हो गया है।

4. प्रयोग की दृष्टि से शब्द भेद(Prayog ki drishti se shabd bhed)

वाक्य में प्रयोग की दृष्टि से शब्द दो प्रकार के होते हैं-
(i) विकारी शब्द,
(i) अविकारी शब्द ।

(i) विकारी शब्द(Vikari Shabd)

विकार का अर्थ होता है- परिवर्तन। जो शब्द वाक्य में प्रयोग करने पर लिंग, वचन, कारक तथा काल के आधार पर अपना स्वरूप बदल
लेते हैं, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया विकारी शब्द
हैं। जैसे- संज्ञा-बच्चा, बच्चे, बच्चो। सर्वनाम-वह, उसने, उसे, उसको, उससे। विशेषण पतला-पतला, पतले, पतलों। क्रिया-गया -गया, गये, जाएँगें।

(ii) अविकारी शब्द(Avikari Shabd)

वाक्य में प्रयोग करते समय जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक आदि किसी भी कारण विकार (परिवर्तन) नहीं होता वे अविकारी शब्द कहलाते हैं।

 

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समास किसे कहते है

 

FAQ

प्र . शब्द (Shabd)क्या होता है

उत्तर- वर्णो से मिलकर शब्द बनता है

प्र . शब्द (Shabd)कितने प्रकार का होता है

उत्तर- शब्द कई प्रकार का होता है जैसे रचना के आधार पर उत्पत्ति के आधार पर , व्युत्पत्ति के आधार पर

प्र .अर्थ की दृष्टि से शब्द भेद(Shabdo ke bhed)

उत्तर-अर्थ की दृष्टि से शब्द के दो भेद होते हैं-(क)सार्थक  शब्द, (ख) निरर्थक शब्द।

प्र .उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द भेद(Shabdo ke bhed)

उत्तर-उत्पत्ति के आधार पर शब्द चार प्रकार के होते हैं-

(i) तत्सम शब्द, (ii) तद्भव शब्द, (i) देशज शब्द, (iv) विदेशी शब्द।

प्र .रचना की दृष्टि  से शब्द भेद(Shabdo ke bhed)

उत्तर-रचना की दुृष्टि से शब्दों के तीन भेद होते हैं-
(i) रूढ़ शब्द, (i) यौगिक शब्द, (i) योगरूढ़ शब्द।

प्र .प्रयोग की दृष्टि से शब्द भेद(Shabdo ke bhed)

उत्तर- वाक्य में प्रयोग की दृष्टि से शब्द दो प्रकार के होते हैं-
(i) विकारी शब्द,
(i) अविकारी शब्द ।

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