What is Gift Deed: गिफ्ट डीड ए कानूनी दस्तावेज है जिसका उपयोग किसी संपत्ति या संपत्ति का मालिक आना हक एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तानांतरित करने के लिए किया जाता है या पैसे के आदान-प्रदान के बिना मालिकाना हक का हस्तांतरण है यानी इसमें कोई भी रजिस्ट्रेशन किया ट्रांसफर शुल्क या किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लगता है
Gift Deed top point
देश में ऐसे बहुत तेरे मामले सामने आते हैं जब संताने माता-पिता को बुढ़ापे में उनके हाल पर छोड़ देती हैं या लगभग हर घर की कहानी है खासकर बढ़ती न्यूक्लियर फैमिली कलर में बुजुर्गों को बेइज्जत तो किया ही जाता है साथ ही उन्हें वृद्ध आश्रम में भी भेज दिया जाता है ऐसे में बुजुर्ग बेशर हो जाते हैं और डर-डर की टोकरी कहते हैं अब ऐसा नहीं चलेगा सुप्रीम कोर्ट की हालिया ऐतिहासिक फैसले के तहत माता-पिता से संपत्ति या गिफ्ट लेने के बाद उन्हें ठुकराने वालों को बड़ी कीमत चुकानी होगी ऐसे बच्चों को प्रॉपर्टी या गिफ्ट या फिर दोनों लौटाने होंगे बुजुर्ग माता-पिता का भरण पोषण हर हाल में करना होगा उनके हाल पर छोड़ना महंगा पड़ सकता है
बुढ़ापे के लिए उम्मीद की किरण(Gift Deed )
सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले से बुजुर्गों को फायदा होने वाला है फैसले से उम्मीद बंधी है कि बुजुर्ग माता-पिता का ख्याल रखेंगे और उनसे अच्छा व्यवहार करेंगे इससे वरिष्ठ नागरिकों के जीवन में सुधार आएगा आमतौर पर देखा जाता है कि कई अभिभावकों को उनके बच्चे प्रॉपर्टी को गिफ्ट लेने के बाद नजर अंदाज कर देते हैं कोर्ट ने कहा बच्चों को माता-पिता की प्रॉपर्टी और मां की गिफ्ट दिए जाने के बाद एक शर्त उसमें शामिल होगी शर्ट के मुताबिक बच्चों को माता-पिता का ख्याल रखना होगा उनकी जरूरत को पूरा करना होगा अगर बच्चों ने इन शर्तों को नहीं पूरा किया और माता-पिता को उनके हाल पर अकेला छोड़ दिया तो उनसे सारी प्रॉपर्टी और बाकी गिफ्ट वापस ले लिए जाएंगे प्रॉपर्टी का ट्रांसफर शून्य घोषित कर दिया जाएगा
कोर्ट ने इस वजह से सुनाया फैसला(Gift Deed )
मध्य प्रदेश की उर्मिला दीक्षित ने छोटे बेटे को इस शर्त पर संपत्ति गिफ्ट की थी कि वह उनकी सेवा करेगा बेटे की अपेक्षा और दुर्व्यवहार के कारण मान्य ट्रिब्यूनल में गिफ्ट डेट रद्द करने का कैसे किया और जीत गई लेकिन हाई कोर्ट की खंडपीड ने इस आदेश को रद्द कर दिया बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की खंडपीठ के निर्णय को पलट दिया जस्टिस सीट रवि कुमार और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने कहा यदि कोई वरिष्ठ नागरिक किसी व्यक्ति की इस शर्त पर संपत्ति हस्तांतरित करता है कि वह उनकी सेवा करते हुए बुनियादी सुविधा देगा लेकिन संपत्ति लेने वाला इस शर्त का उल्लंघन करता है तो संपत्ति का हस्तानांतरण धोखाधड़ी माना जाएगा ऐसे मामलों में ट्रिब्यूनल बुजुर्ग माता-पिता को संपत्ति वापस हस्तांतरित करने और बेदखली का आदेश दे सकता है वरिष्ठ नागरिकों द्वारा उपहार में दी गई संपत्ति को वापस करने की ट्रिब्यूनल की शक्ति के बिना बुजुर्गों कला पहुंचने वाले कानून के उद्देश्य ही विफल हो जाएगा
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माना जाएगा धोखाधड़ी का मामला(Gift Deed )
शीर्ष अदालत के मुताबिक बच्चों द्वारा बुजुर्गों की सेवा नहीं करने पर संपत्ति का ट्रांसफर शून्य घोषित तो होगा ही साथ में ऐसे मामले संपत्ति ट्रांसफर धोखाधड़ी या जबरदस्ती के तहत किया जाना माना जाएगा बच्चे माता-पिता की देखभाल करने में विफल रहते हैं तो माता-पिता ने उन्हें तो प्रॉपर्टी गिफ्ट दिए हैं वह वैश्णवीकों के भरण पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत रद्द किया जा सकता है कुछ मामले ऐसे भी सामने आए जहां धोखाधड़ी के जरिए संपत्ति हथिया ली जाती है बाद में उसे कानूनी तौर पर ट्रांसफर बताया जाता है इसलिए इस फैसले से धोखाधड़ी रुकेगी
कभी भी 100% संपत्ति ट्रांसफर ना करें(Gift Deed )
सुरक्षित बुढ़ापे के लिए कभी भी अपने संपत्ति का हंड्रेड परसेंट हिस्सा ट्रांसफर बच्चों को ना करें चाहे बच्चा कामयाब हो या असफल दोनों स्थितियों में बचाना जरूरी है उदाहरण के तौर पर रेमंड के मालिक व प्रसिद्ध उद्योग पर विजयपत सिंघानिया ने 2015 में रेमंड समूह में पूरी 37.17 फ़ीसदी हिस्सेदारी छोटे बेटे गौतम सिंघानिया को दे दी इसके बाद गौतम ने अपने माता-पिता को बेदखल कर दिया विजयपथ अब किराए पर रह रहे हैं यह बताता है कि सुरक्षित बुढ़ापे के लिए कभी भी अपनी पूरी संपत्ति बच्चों को ट्रांसफर ना करें
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