Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

संज्ञा किसे कहते हैं ? इसके कितने भेद हैं व संस्कृत में लिंगों एवं वचनों की संख्या को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए

Rate this post

प्रश्न– संज्ञा किसे कहते हैं ? इसके कितने भेद हैं ?

उत्तर-जिससे किसी प्राणी, वस्तु, स्थान या भाव का बोध होता है, उसे संज्ञा कहते हैं;
जैसे1. प्राणियों के नाम–नरेन्द्र मोदी, सोनिया गाँधी, कुत्ता, भैंस, डिडा, चिड़िया
आदि।
2. वस्तुओं के नाम–कुर्सी, पलंग, स्टूल, टी.वी., मोबाइल आदि।
3. स्थानों के नाम–आगरा, मथुरा, भोपाल, इलाहाबाद आदि ।
4. भावों के नाम–प्रेम, घृणा, लड़ाई, बुराई, बुढ़ापा, मिठास, क्रोध, शान्ति, ईर्ष्या
आदि।
संज्ञा के भेद
(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा–जो शब्द किसी विशेष प्राणी, वस्तु अथवा स्थान के
भाव को बोध कराते हैं, व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं। जैसे—सरदार पटेल, पहाड़, जेल
आदि।
(2) जातिवाचक संज्ञा–जो शब्द किसी प्राणी, स्थान अथवा वस्तु की जाति या
समूह का बोध कराते हैं, जातिवाचक संज्ञा कहलाते हैं। जैसे—पुरुष, गेंद, घर आदि।
(3) भाववाचक संज्ञा-जो शब्द किसी भाव, गुण, दोष, स्वभाव आदि का बोध
कराते हैं, भाववाचक संज्ञा कहलाते हैं। जैसे—मिठास, लड़ाई, बुढ़ापा आदि।

* कुछ विद्वान् अंग्रेजी व्याकरण के प्रभाव के कारण संज्ञा शब्द के दो भेद बतलाते
हैं
1. समुदायवाचक संज्ञा,
2. द्रव्यवाचक संज्ञा |
1. समुदायवाचक संज्ञा–जिन संज्ञा शब्दों से व्यक्तियों, वस्तुओं आदि के समूह
का बोध हो उन्हें समुदायवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे—सभा, कक्षा, सेना, भीड़, पुस्तकालय,
दल आदि।
2. द्रव्यवाचक संज्ञा-जिन संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव्य आदि पदार्थों का
बोध हो उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे—घी, तेल, सोना, चाँदी, पीतल, चावल,
गेहूँ, कोयला, लोहा आदि।

प्रश्न–संस्कृत में लिंगों एवं वचनों की संख्या को उदाहरण सहित स्पष्ट
कीजिए। सभी के कम-से-कम तीन-तीन उदाहरण दीजिए। (2016)

प्रश्न–लिंग की परिभाषा दीजिए। संस्कृत में लिंगों के भेद को उदाहरण सहित
लिखिए।

उत्तर-परिभाषा संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के स्त्री या पुरुषवाचक
होने का बोध होता है, उसे लिंग कहते हैं।
लिंग का शाब्दिक अर्थ है ‘निशान’ या ‘चिह्न‘। अतः लिंग उस चिह्न को कहते हैं
जिससे किसी शब्द का पुरुषवाचक, स्त्रीवाचक अथवा नपुंसकवाचक होना सिद्ध हो;
जैसे—राम, रमा, मित्र, सखा आदि।
1. लड़का, राजा, घोड़ा, हाथी सिंह, बकरा, गधा, भारत, दिन।
2. सीता, लड़की, रानी, घोड़ी, हथिनी, सिंहनी, बकरी, गधी, लंका।

पहले वर्ग में लिखे शब्द पुरुष वर्ग का बोध कराते हैं। इन्हें पुल्लिंग कहते हैं। दूसरे वर्ग
में लिखे शब्द स्त्री वर्ग का बोध कराते हैं, इन्हें स्त्रीलिंग कहते हैं।
निर्जीव या अचेतन पदार्थ भी पुल्लिंग या स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे—पत्थर, पहाड़, घर
आदि पुल्लिंग हैं। सड़क, रस्सी, लड़की आदि स्त्रीलिंग हैं।

लिंग के प्रकार

हिन्दी भाषा में केवल दो ही लिंगों में काम चल जाता है—पुल्लिंग और स्त्रीलिंग;

परन्तु संस्कृत में तीन लिंग होते हैं—पुल्लिंग, स्त्रीलिंग तथा नपुंसकलिंग। संस्कृत में लिंगों
का सम्बन्ध शब्दों से होता है, उन शब्दों के द्वारा व्यक्त होने वाले पदार्थों से होता है।

इसलिए
संस्कृत में लिंग निर्णय में विशेष कठिनाई होती है; जैसे हिन्दी में अग्नि’ और ‘महिमा’
शब्द स्त्रीलिंग हैं परन्तु यह शब्द संस्कृत में पुल्लिंग में प्रयुक्त होते हैं। ऐसे ही ‘मित्र’ शब्द
पुल्लिंग है तथा सखा’ शब्द नपुसंकलिंग का अर्थ देता है। अत: इन लिंगों शब्दों की पहचान
अभ्यास से ही हो सकती है, केवल किसी नियम के आधार पर नहीं। अभ्यास के लिए लिंग
ज्ञान के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम यहाँ दिये जा रहे हैं।

पुल्लिंग

जिस शब्द से नर (पुरुष) जाति का बोध होता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं। पुल्लिग
शब्दों के पहचानने के कुछ नियम इस प्रकार हैं1. धन, प्रत्ययान्त शब्द, अच् प्रत्यययान्त वाले शब्द पुल्लिग होते हैं; जैसे नरः,
पाकः, विजयः, शोकः, विहारः, विनयः, त्यागः, भाव: आदि।
(परन्तु भय, सुख, हर्ष, पद आदि नपुंसकलिंग होते हैं।)
2. अन् से समाप्त होने वाले शब्द पुल्लिग होते हैं जैसे राजन (राजा)

3. अहन् और दिन (नपुंसकलिंग) को छोड़कर समयवाचक शब्द पुल्लिंग होते हैं;
जैसे—दिवसः, कालः, पक्षः, मासः, वर्ष, समयः।
4. इकारान्त शब्द पुल्लिंग होते हैं; जैसे—कविः, मुनिः, ऋषिः, पतिः, कपिः, नृपतिः,
भूपतिः, वारिधिः, जलधिः, हरिः, व्याधिः, गिरिः, निधिः।
5. पर्वतवाची शब्द पुल्लिंग होते हैं; जैसे—गिरिः, शैल, आद्रिः, पर्वतः, आदि।
6. यज्ञवाचक शब्द पुल्लिंग होते हैं; जैसे—अध्वरः, क्रतु, मख: आदि।
7. मासवाचक शब्द पुल्लिंग होते हैं; जैसे–चैत्रः, वैशाखः, जेष्ठः आदि।
8. तत्सम अकारान्त शब्द प्रायः पुल्लिंग होते हैं; जैसे—जलः, पवनः, उपवनः, , मनः, धनः, गगनः, इत्यादि।
9. पर्वत, सागर, देश एवं महाद्वीपों के नाम पुल्लिंग में होते हैं; जैसे—विद्यालयः,
विंध्याचलः, सतपुड़ा, हिन्द महासागरः, चीनदेशः, जापानदेशः, भारत देशः, ईरान देशः,
अमेरिका देश: इत्यादि।
10. ग्रहों के नाम पुल्लिंग में होते हैं; जैसे—सूर्यः, चन्द्रः, बुधः, शुक्र:, इत्यादि।
लेकिन पृथ्वी: स्त्रीलिंग है।

स्त्रीलिंग

जिस शब्द से मादा (स्त्री) जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं; जैसेलता, मति, यमुना, गौरी, अजा, कनिष्ठा आदि। स्त्रीलिंग शब्दों को पहचानने के लिए नियम
इस प्रकार हैं1. इकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे—देवी, नारी, गौरी, स्त्री आदि।
2. तिथिवाचक शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, पंचमी,
त्रयोदशी, पूर्णिमा, सप्ती आदि।
3. ऋकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे—मातृ (माता), स्वसृ (बहन), दुहिता
(कन्या),ननान्दृ (ननद)।
4. समाहार, द्विगु समास युक्त अकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे—त्रिलोकी,
द्विपुरी, अष्टपदी आदि। लेकिन युग, पात्रम्, आदि शब्द नपुसंकलिंग होते हैं।
5. क्तिन् (ति) प्रत्यायान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे—गतिः, बुद्धिः, मतिः, आदि।

 

इसको भी पढ़े :

शिक्षण में खेल प्रविधि’ का महत्व बताइए व निदानात्मक एवं उपचारात्मक शिक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए

.

Leave a Comment