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योग क्या है ?[What is Yoga] योग का संक्षिप्त इतिहास एवं विकास क्या है ? योग का अर्थ, परिभाषा उद्देश्य एवं महत्व

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योग क्या है ?[What is Yoga] योग का संक्षिप्त इतिहास एवं विकास क्या है ? योग का अर्थ, परिभाषा उद्देश्य एवं महत्व

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 योग का परिचय

27 सितंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ( यू एन जी ए) के 69वें सत्र को संबोधित करते हुए भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विश्व समुदाय से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का आह्वान किया। श्री मोदी ने कहा, “योग” प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है।योग अभ्यास शरीर एवं मन, विचार एवं कर्म, आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। योग मात्र व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अन्दर जागरुकता उत्पन्न करता है तथा प्राकृतिक परिवर्तनों से शरीर में होने वाले बदलावों को सहन करने में सहायक हो सकता है। आइए हम सब मिलकर योग को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में स्वीकार करने
की दिशा में कार्य करें।”
11 दिसंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों ने रिकॉर्ड 177 सह-समर्थक देशों के साथ 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प सर्वसम्मति से अनुमोदित किया। अपने संकल्प में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वीकार किया कि योग स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए पूर्णतावादी दृष्टिकोण प्रदान करता है। योग विश्व की जनसंख्या के स्वास्थ्य के लिए तथा उनके लाभ के लिए विस्तृत रूप में कार्य करेगा। योग जीवन के सभी पहलुओं में सामंजस्य बैठाता है और इसीलिए, बीमारी रोकथाम, स्वास्थ्य संवर्द्धन और जीवन शैली-संबंधी कई विकारों के प्रबंधन के लिए जाना जाता है।

प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस[Yoga Diwas ]

आयुष मंत्रालय ने 21 जून, 2015 को राजपथ, नई दिल्ली में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का सफल आयोजन किया। दो गिनीज विश्व रिकॉर्ड – 35,985 प्रतिभागियों के साथ सबसे बड़ा योग सत्र तथा एक ही योग अभ्यास सत्र में सर्वाधिक देशों (84) के नागरिकों की प्रतिभागिता – बने। विज्ञान भवन में 21 एवं 22 जून, 2015 को “संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए योग” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई जिसमें भारत तथा विदेश से लगभग 1300 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पहली बार आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में भारत और दुनिया के लाखों लाख लोगों ने भागीदारी की। जनसामान्य के बीच योग के प्रति जागरुकता का प्रसार करने हेतु सामान्य योग शिष्टाचार एवं योग की डीवीडी तैयार की गई।

योग क्या है?[Yoga kya hai ]

सार रूप में कहें तो योग आध्यात्मिक अनुशासन एवं अत्यंत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित ज्ञान है जो मन और शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। यह स्वस्थ जीवन की कला एवं विज्ञान है। संस्कृत वाङ्मय के अनुसार योग शब्द युज् धातु में घञ् प्रत्यय लगने से निष्पन्न हुआ है। पाणिनीय व्याकरण के अनुसार यह तीन अर्थों में प्रयुक्त होता है। (1.) – युज् समाधौ = समाधि (2.) – युजिर योगे = जोड़ (3) – युज् संयमने = सामंजस्य । यौगिक ग्रंथों के अनुसार, योग अभ्यास व्यक्तिगत चेतनता को सार्वभौमिक चेतनता के साथ एकाकार कर देता है। आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड में जो कुछ भी है वह परमाणु का प्रकटीकरण मात्र है। जिसने योग में इस अस्तित्व के एकत्व का अनुभव कर लिया है, उसे योगी कहा जाता है, योगी पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त कर मुक्तावस्था को प्राप्त करता है। इसे ही मुक्ति, निर्वाण, कैवल्य या मोक्ष कहा जाता है। “योग” का प्रयोग आंतरिक विज्ञान के रूप में भी किया जाता है, जो विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं का सम्मिलन है, जिसके माध्यम से मनुष्य शरीर एवं मन के बीच सामंजस्य स्थापित कर आत्म साक्षात्कार करता है। योग अभ्यास (साधना) का उद्देश्य सभी त्रिविध प्रकार के दुःखों से आत्यन्तिक निवृत्ति प्राप्त करना है, जिससे प्रत्येक व्यक्ति जीवन में पूर्ण स्वतंत्रता तथा स्वास्थ्य, प्रसन्नता एवं सामजस्य का अनुभव कर सके ।

योग का संक्षिप्त इतिहास एवं विकास[Yoga ka itihas evam vikas ]

योग विद्या का उद्भव हजारों वर्ष प्रचीन है। श्रुति परंपरा के अनुसार भगवान शिव योग विद्या के प्रथम आदि गुरु, योगी या आदियोगी हैं। हजारों-हजार वर्ष पूर्व हिमालय में कांति सरोवर झील के किनारे आदियोगी ने योग का गूढ़ ज्ञान पौराणिक सप्त ऋषियों को दिया था। इन सप्त ऋषियों ने इस अत्यन्त महत्वपूर्ण योग विद्या को एशिया, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका सहित विश्व के अलग-अलग भागों में प्रसारित किया। आधुनिक विद्वान संपूर्ण पृथ्वी की प्राचीन संस्कृतियों में एक समानता मिलने पर अचंभित हैं, यह एक अत्यन्त रोचक तथ्य है। वह भारत भूमि ही है, जहां पर योग की विधा पूरी तरह अभिव्यक्त हुई। भारतीय उपमहाद्वीपों में भ्रमण करने वाले सप्तऋषियों एवं अगस्त्य मुनि ने इस योग संस्कृति को जीवन के रूप में विश्व के प्रत्येक भाग में प्रसारित किया

योग का व्यापक स्वरूप तथा उसका परिणाम सिंधु एवं सरस्वती नदी घाटी सभ्यताओं 2700 ई.पू.- की अमर संस्कृति का प्रतिफलन माना जाता है | योग ने मानवता के मूर्त और आध्यात्मिक दोनों रूपों को महत्वपूर्ण बनाकर स्वयं को सिद्ध किया है। सिंधु सरस्वती घाटी सभ्यता में योग साधना करती अनेक आकृतियों के साथ प्राप्त ढेरों मुहरें एवं जीवाश्म अवशेष इस बात के प्रमाण हैं कि प्राचीन भारत में योग का अस्तित्व था। सरस्वती घाटी सभ्यता में प्राप्त देवी एवं देवताओं की मूर्तियां एवं मुहरें तंत्र योग का संकेत करती हैं। वैदिक एवं उपनिषद परंपरा, शैव, वैष्णव तथा तांत्रिक परंपरा, भारतीय दर्शन, रामायण एवं भगवद्गीता समेत महाभारत जैसे महाकाव्यों, बौद्ध एवं जैन परंपरा के साथ-साथ विश्व की लोक विरासत में भी योग मिलता है। योग का अभ्यास पूर्व वैदिक काल में भी किया जाता था। महर्षि पतंजलि ने उस समय के प्रचलित प्राचीन योग अभ्यासों को व्यवस्थित व वर्गीकृत किया और उनके निहितार्थ और इससे संबंधित ज्ञान को पातंजलयोगसूत्र नामक ग्रन्थ में क्रमबद्ध तरीके से व्यवस्थित किया।

पतंजलि के बाद भी अनेक ऋषियों एवं योग आचार्यों ने योग अभ्यासों और  यौगिक साहित्य के माध्यम से इस क्षेत्र के संरक्षण और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रतिष्ठित योग आचार्यों की शिक्षाओं के माध्यम से योग प्राचीन काल से लेकर आज सम्पूर्ण विश्व में प्रसारित हुआ। आज सभी को योग अभ्यास से व्याधियों की रोकथाम, अच्छी देखभाल एवं स्वास्थ्य लाभ मिलने का दृढ़ विश्वास है। सम्पूर्ण विश्व में लाखों लोग योग अभ्यासों से लाभान्वित हो रहे हैं। योग दिन-प्रतिदिन विकसित और समृद्ध होता जा रहा है। आज के समय में “यौगिक “अभ्यास अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है

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FAQs

प्र. योग क्या है ?

उत्तर- सार रूप में कहें तो योग आध्यात्मिक अनुशासन एवं अत्यंत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित ज्ञान है जो मन और शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करता है

प्र.योग का संक्षिप्त इतिहास क्या है ?

उत्तर- योग विद्या का उद्भव हजारों वर्ष प्रचीन है। श्रुति परंपरा के अनुसार भगवान शिव योग विद्या के प्रथम आदि गुरु, योगी या आदियोगी हैं।

प्र. योग का विकास क्या है ?

उत्तर-योग का व्यापक स्वरूप तथा उसका परिणाम सिंधु एवं सरस्वती नदी घाटी सभ्यताओं 2700 ई.पू.- की अमर संस्कृति का प्रतिफलन माना जाता है

 

 

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