UP teachers expressed their pain: They said when they were recruited, there was no TET, now… at least they should have given a notice first: यूपी के शिक्षकों का छलका दर्द: बोले जब भर्ती हुए तब TET नहीं, अब…- कम से कम पहले नोटिस ही दे देते
UP teachers expressed their pain: They said when they were recruited, there was no TET, now… at least they should have given a notice first: यूपी के शिक्षकों का छलका दर्द: बोले जब भर्ती हुए तब TET नहीं, अब…- कम से कम पहले नोटिस ही दे देते

चंदौली: UP teachers expressed their pain: They said when they were recruited, there was no TET
सुप्रीम कोर्ट ने एक सितंबर को महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जिससे देश भर के कक्षा एक से आठ को पढ़ाने वाले सरकारी शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को 2 साल में टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास करनी होगी, नहीं तो उनकी नौकरी चली जाएगी. इस फैसले पर जब लोकल 18 ने शिक्षकों से बात की तो उनका दुख छलक गया. उनका कहना है कि अगर ऐसा ही कुछ करना था सरकार को तो पहले एक नोटिस ही दे देते. हालांकि, कुछ टीचर्स ने इस फैसले का स्वागत किया है. आइए जानते हैं सबकुछ…
लाल बहादुर शास्त्री बालिका इंटर कॉलेज में सहायक अध्यापिका प्राथमिक वर्ग अर्चना सिंह ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि इस फैसले के खिलाफ सभी शिक्षकों को संगठित होकर अगला कदम उठाना होगा. अभी तक शिक्षक मुकदमा लड़ रहे थे कि उन्हें प्रोन्नति के लिए टीईटी न देना पड़े, लेकिन अब जो फैसला आया है उससे तो उन्हें नौकरी में बने रहने के लिए भी टीईटी परीक्षा पास करनी होगी.

मुगलसराय के प्राथमिक विघालय सरेसर के प्रधानाध्यापक अवनीश कुमार यादव ने लोकल 18 से बातचीत की. उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग का अब तक का सबसे बड़ा फैसला है. एक सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा यह फैसला सुनाया गया, जिसमें यह लागू किया गया कि हर अध्यापक को TET पास करना अनिवार्य होगा. इसमें जिनकी सिर्फ 5 साल नौकरी बची है, उनको ही TET से छूट दिया गया है. शेष सभी लोगों को TET पास करना अनिवार्य है.
उन्होंने आगे कहा कि फैसला उन शिक्षकों पर भी लागू होगा, जिनकी नियुक्ति शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून लागू होने से पहले हुई थी. हालांकि जिन लोगों की नौकरी 5 वर्ष से कम की रह गई है, उन्हें कोर्ट ने बिना टीईटी के नौकरी में बने रहने की छूट दी है, लेकिन उनके लिए भी शर्त है कि अगर उन्हें प्रोन्नति लेनी है, तो टीईटी पास करना होगा. प्रोन्नति पाने के लिए भी टीईटी पास करना जरूरी है. नियम के मुताबिक हर 6 महीने में टीईटी परीक्षा होनी चाहिए, ऐसे में 2 साल में 4 बार परीक्षा होगी. अगर कोर्ट इस समय को बढ़ा देता है, तो शिक्षकों को ज्यादा बार परीक्षा में बैठने और पास करने का मौका मिलेगा.
प्रधानाध्यापक अवनीश कुमार ने बताया कि टीईटी भी दो स्तर का है. एक प्राइमरी के लिए टीईटी जो कक्षा 5 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को करना होता है और दूसरा अपर टीईटी ये कक्षा 6 से 8 को पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए जरूरी है. अगर किसी शिक्षक को प्राथमिक शिक्षक से जूनियर शिक्षक के रूप में प्रोन्नत होना है, तो उसे अपर प्राइमरी टीईटी पास करना होगा.
प्राथमिक विद्यालय सरेसर के सहायक अध्यापक संजय सिंह ने कहा कि इस फैसले से लंबे समय से नौकरी कर रहे शिक्षकों के लिए नयी मुश्किल खड़ी हो गई है. अगर ऐसा करना ही था तो हमलोगों को एक पहले नोटिस जारी करना चाहिए था. वहीं, उन्होंने कहा कि पुनर्विचार दाखिल की जाएगी, उसमें कोर्ट से टीईटी परीक्षा पास करने के लिए तय किया गया 2 वर्ष का समय बढ़ाए जाने की भी मांग की जाएगी.
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