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Banks cannot unilaterally reduce interest on FDs: एफडी पर एकतरफा ब्याज नहीं घटा सकते बैंक

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Banks cannot unilaterally reduce interest on FDs: एफडी पर एकतरफा ब्याज नहीं घटा सकते बैंक

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हाईकोर्ट ने बैंक ग्राहकों के पक्ष में महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि बैंक फिक्स डिपॉजिट पर एकतरफा ब्याज दर कम नहीं कर सकते हैं। ऐसा करना अवैध होगा।

यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार एवं स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने नेम कुमार जैन की याचिका पर दिया है। नेम जैन और बसंत जैन ने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (जिसका विलय 2020 में पंजाब नेशनल बैंक में हो गया था) के खिलाफ याचिका में कहा था कि याचियों के एफडीआर पर अनुबंधित ब्याज दर 10.75 प्रतिशत और 10.25 प्रतिशत थी। बैंक ने एकतरफा घटाकर क्रमशः 9.25 प्रतिशत व 8.25 प्रतिशत कर दिया। याचियों की मांग की कि उन्हें मैच्योरिटी तक अनुबंधित दर पर ब्याज का भुगतान मिलना चाहिए।

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एफडीआर जारी करते समय तय ब्याज दर बाध्यकारी संविदात्मक दायित्व है। बैंक का कहना था कि ब्याज दर में कमी रिजर्व बैंक, बैंक एसोसिएशन के सर्कुलर पर किया गया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि बैंक का कदम अनुचित था। रिजर्व बैंक के सर्कुलर बैंकों को जमा राशि पर ब्याज दरें आगे घोषित कार्यक्रम के अनुसार भुगतान करने का आदेश देते हैं।

खंडपीठ ने स्पष्ट किया: interest on FDs

कोर्ट ने कहा कि आरबीआई के निर्देश ब्याज दर एकतरफा बदलने की शक्ति नहीं देते। एक बार बैंक विशेष ब्याज दर का वादा करता है, जिस पर निवेशक एफडीआर लेता है तो बैंक बाद में वादा की गई ब्याज दर से इनकार नहीं कर सकता।

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