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पेशियाँ( Muscle)क्या है ? इसकी गतियों तथा सरचना को समझाईये

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पेशियों से आप क्या समझते है ? ये कितने प्रकार की होती है। रेखित पेशी व अरेखित पेशी को समझाइये||तंत्रिका कोशिकाएं और अस्थि पेशी कोशिकाएं इन कोशिकाओं के विशेष उदाहरण हैं.||अनैच्छिक मांसपेशी ||ऐच्छिक-तथा-अनैच्छिक PESHIYAN||

Table of Contents

प्रश्न–पेशियाँ क्या हैं ? इसकी गतियों तथा संरचना को समझाइए।

उत्तर–कंकाल तन्त्र पर माँस का जो आवरण होता है, उसको पेशी संस्थान कहते हैं। शरीर की सभी प्रकार की गति अस्थियों एवं पेशियों के सम्बन्ध से उत्पन्न होती है। पेशियों में दो प्रकार की गति पायी जाती है

(1) संकुचन, तथा (2) शिथिलन या प्रसरण।
पेशी का संकुचन दो प्रकार का होता है

(1) ऐच्छिक (Voluntary),
(2) अनैच्छिक (Involuntary)।
पेशी की संरचना-पेशियाँ विभिन्न प्रकार की होती हैं। जिन अस्थियों के सहारे से पेशियाँ जुड़ी रहती हैं, उन्हीं के आकार की तरह इनका भी आकार होता है। प्रत्येक पेशी बाल जैसी कोशिकाओं से मिलकर बनती है। प्रत्येक पेशी ऊतक को रुधिर- वाहिनियों से रक्त तथा मस्तिष्क से तन्त्रिकाएँ प्राप्त होती हैं। प्रत्येक पेशी के तीन भाग होते हैं। ऊपरी सिरा मूल
कहलाता है, बीच का मोटा भाग तुन्द कहलाता है और निचले सिरे को निवेशन कहते हैं। ये दोनों सिरे पतली डोरी के समान श्वेत ऊतकों के बने होते हैं। इन तन्तुओं को माँस रज्जु या कण्डरा या टेण्डन (Tendon) कहते हैं। निवेशन की अपेक्षा मूल अधिक दृढ़ता से बँधा रहता है।

muscles

प्रश्न-पायरिया के कारण एवं उपचार बताइए।

उत्तर—यह रोग वयस्कों में अधिकतर पाया जाता है। इस रोग से दाँतों में बदबू आने लगती है तथा मसूड़ों से रक्त बहने लगता है। धीरे-धीरे दाँत गिरने लगते हैं। कारण (Causes)पायरिया होने के कारण निम्नलिखित हैं

(1) दाँतों की सफाई न करना। (2) मसूड़ों का अस्वस्थ होना।
उपचार (Treatment) –

(1) रोगग्रस्त होने पर डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए।
(2) मसूड़ों को भली प्रकार मालिश करना चाहिए।
(3) खोखले दाँतों व दाढ़ों को भरवा लेना चाहिए।
(4) दाँतों को नियमित प्रतिदिन सफाई करना चाहिए।
(5) भोजन में विटामिन ‘ए’ व ‘सी’ की उचित मात्रा लेनी चाहिए।

पायरिया

पायरिया

पायरिया

प्रश्न–रक्त परिसंचरण तन्त्र क्या है ?

 

उत्तर–परिसंचरण तन्त्र (Circulatory System) – जीवित अवस्था में रक्त शरीर में सदैव संचरण करता रहता है। रक्त की इसी भ्रमण करने की क्रिया को रक्त परिसंचरण कहते हैं। हृदय और रक्त वाहिकाओं में से होकर ही रक्त शरीर में प्रवाहित होता है। रक्त जिस स्थान से अपनी यात्रा आरम्भ करता है, समस्त शरीर में भ्रमण करने के बाद पुन: उसी स्थान पर पहुँच जाता है, और इस चक्र पर ही जीवनपर्यन्त परिक्रमा करता रहता है। एक परिक्रमा का चक्र इस प्रकार से है। रक्त बायें निलय से महाधमनी में धमनी में→ धमनिकाओं में → केशिकाओं में
शिरिकाओं में शिराओं में → महाशिराओं में→ दाएँ आलिन्द में → दाएँ निलय में→ फुफ्फुसीय धमनी में→फुफ्फुसीय शिराओं में → बायें आलिन्द में और पुन: बाएँ निलय में पहुँचकर फिर इसी चक्र के आधार पर समस्त शरीर में जीवित
अवस्था में निरन्तर प्रवाहित होता है।

 

रक्त परिसंचरण तन्त्र
रक्त परिसंचरण तन्त्र

प्रश्न-स्रोत के आधार पर प्रोटीन कितने प्रकार की होती है ?

उत्तर-स्रोत के आधार पर प्रोटीन दो प्रकार की होती है(i) जन्तु प्रोटीन-दूध, माँस, मछली, अण्डा आदि से प्राप्त प्रोटीन। (ii) वनस्पति प्रोटीन-दालें, सेम, सोयाबीन फलियाँ तथा गिरीदार फल से प्राप्त
प्रोटीन एक ग्राम प्रोटीन के जारण से लगभग 4.3 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।

प्रोटीन
प्रोटीन

 

प्रश्न–विटामिन A, B, C, D, E, K की प्राप्ति स्रोत एवं इनकी कमी से होने वाले रोग बताइए।

 

उत्तर-(i) विटामिन A – विटामिन A आँखें, बाल तथा त्वचा को स्वस्थ रखता है। विटामिन A पालक, गाजर, आम, मक्खन, मछली का तेल, टमाटर, पीले नारंगीफल आदि में पाया जाता है। इसकी कमी से रतौंधी नामक रोग हो जाता है।
(ii) विटामिन B-यह विटामिन पानी में घुलनशील है। इसकी कमी से शरीर में बेरी-बेरी नामक रोग हो जाता है। इसका शरीर में संचय नहीं हो सकता। विटामिन B में कई विटामिन सम्मिलित हैं।
(iii) विटामिन C-यह दाँतों तथा हड्डियों को कैल्शियम प्राप्ति में सहायक संक्रमण से बचाव करता है तथा रक्त शोधन का भी कार्य करता है। यह विटामिन नींबू, संतरा, आम, टमाटर, अमरूद, मौसमी, आँवला तथा हरी मिर्च आदि में पाया जाता है। इसकी कमी से स्कर्वी रोग हो जाता है।
(iv) विटामिन D-यह दाँतों तथा अस्थियों को मजबूत बनाता है। यह विटामिन प्रात:कालीन सूर्य की किरणों में, मक्खन, अण्डा, दूध, मछली का तेल तथा यस्त्रत में पाया जाता है। इसकी कमी से सूखा रोग हो जाता है।
(v) विटामिन E-यह सन्तानोत्पादन की शक्ति प्रदान करता है। यह विटामिन दूध, मक्खन, सब्जियों तथा माँस में पाया जाता है। इसकी कमी से जननांग प्रभावित होते हैं।
(vi) विटामिन K -यह विटामिन शरीर के बहते रक्त को जमाकर रक्तु ावरोकता है। यह विटामिन पालक, गोभी, दूध आदि में मिलता है। इसकी कमी से रुधिर का थक्का नहीं बनता।

 

 

प्रश्न-परिरक्षण क्या है ?

उत्तर–वायुमण्डल में अनेक प्रकार के जीवाणु तथा कवक के बीजाणु उपस्थित होते हैं। ये अनुकूल तापमान, नमी तथा कार्बनिक भोज्य पदार्थ मिलने पर उगने लगते हैं और भोज्य पदार्थ खराब होने लगता है। भोजन को खराब होने से बचाने के लिए उसका परिरक्षण आवश्यक है।
“परिरक्षण वह क्रिया है जिसके द्वारा भोज्य पदार्थ को लम्बे समय तक ताजा और सुरक्षित रखा जाता है।”

प्रश्न—संक्रामक रोग क्या हैं ?

उत्तर – “संक्रामक रोग एक ऐसा रोग है जो किसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पहुँच जाता है।”

 

हैजा
हैजा

प्रश्न- चेचक रोग के प्रसार को समझाइए।

उत्तर—यह रोग तेजी से फैलने वाला संक्रामक रोग है। वर्तमान समय में इस रोग पर नियंत्रण पा लिया गया है। इसे शीतला या बड़ी माता भी कहते हैं। चेचक का जीवाणु—इस रोग का जीवाणु वेरिओला वाइरस (Variola Virus)
होता है। रोग का प्रसार-रोगी व्यक्ति के नाक, मुँह, गले के स्राव से बिन्दुक संक्रमण द्वारा और बाद में रोगी की संक्रामी वस्तुओं तथा सूखी पपड़ियों से जो सूखकर वायु में मिल जाती हैं। पपड़ियों तथा संक्रामी पदार्थों में जीवाणु 6 सप्ताह तक जीवित रह सकता है।

उद्भवनकाल–7 से 17 दिन। औसतन 12 दिन।

चेचक रोग
चेचक रोग

 

प्रश्न-छोटी माता का प्रसार, लक्षण एवं बचाव बताइए।

उत्तर – यह भी संचारी संक्रामक रोग है जो बचपन से 10 वर्ष की आयु तक के बच्चों को हो सकता है। एक बार रोग हो जाने पर व्यक्ति में जीवनभर के लिए रोग निरोध क्षमता उपार्जित हो जाती है।

जीवाणु–यह वेरिसेला (Varicella) वाइरस होता है।

रोग का प्रसार– श्वसन द्वारा बिन्दुक संक्रमण से रोगी के निकट सम्पर्क से, रोगी की संक्रमित वस्तुओं से।
उद्भवनकाल– 14 से 21 दिन।
संक्रामक काल—पित्तिका निकलने के दिन पूर्व से लगभग 6 दिन तक उसकी पपड़ी संक्रामक नहीं होती है।
रोग के लक्षण–

1. रोग का प्रारम्भ हल्के ज्वर और कमर दर्द के साथ होता है।
2. वयस्कों में ज्वर 101°F से 102°F तक हो सकता है।
3. ज्वर आने के 24 घण्टे के अंदर शरीर के सम्पर्क ढँके भागों में दाने निकल आते हैं।
4. 2-3 दिन में इन दोनों में पानी भर जाता है।
5. 6-7 दिन में यह दाने सुखकर पपड़ी बन जाते हैं।

रोग से बचाव–1. रोग प्रारम्भ होने पर ही स्वास्थ्य अधिकारी को तुरन्त सूचना देनी चाहिए।
2. रोगी को अलग कमरे में व्यवस्था कर देनी चाहिए। पित्तिका निकलने के समय से लगभग 1 सप्ताह तक रोगी को अलग रखना चाहिए।

3. रोगी के थूक, बलगम आदि को जलाकर नष्ट कर देना चाहिए।
4. रोगी के ठीक होने पर रोगी के सभी सामान और कमरे को साबुन, सोडा व गर्म पानी से धोना चाहिए।

प्रश्न–खसरा रोग के लक्षण व इससे बचाव के उपाय बताइए।

उत्तर–बच्चों ग्रसित हैं। में फैलने वाला संचारी रोग है। 6 माह से 10 वर्ष की आयु के बच्चे
जीवाणु–वाइरस द्वारा।
रोग का प्रसार-रोग का प्रसार सीधे रोगी के सम्पर्क में श्वसन द्वारा बिन्दुक संक्रमण से और रोगी व्यक्ति के संक्रामी पदार्थों से।
उद्भवनकाल– लगभग 10 से 14 दिन।
संक्रामक काल-दाने निकलने के 4 दिन पूर्व से 5 दिन बाद तक।
रोग के लक्षण–

1. प्रारम्भ में जुकाम, सिरदर्द, खाँसी और हल्का ज्वर होता है।
2. एक-दो दिन बाद ज्वर की तीव्रता 103°F तक हो जाती है और नाक तथा आँखों से पानी आने लगता है।
3. ज्वर के चौथे दिन तक मुँह के भीतरी भाग चेहरा और कान के पीछे दाने निकल आते हैं।
4. धीरे-धीरे दाने सारे शरीर में फैल जाते हैं।
5. एक-दो दिन तक यह दाने तीव्रता पर रहते हैं और फिर सूखने लगते हैं।
रोग से बचाव–

1. अगर रोग का संदेह हो तो संदेही व्यक्ति को तुरंत अलग कर देना चाहिए।
2. लगभग 7 दिनों तक रोगी को सभी से अलग रखना चाहिए।
3. रोगी के श्वसन मार्ग से निकले सभी पदार्थों को जलाकर नष्ट कर देना चाहिए।
4. रोग ठीक होने पर रोगी के सभी सामान को अच्छी तरह विसंक्रमित करना चाहिए।

 

चेचक रोग

प्रश्न-हैजा रोग किस प्रकार फैलता है ?

उत्तर – यह बहुत ही तीव्र संक्रामक बीमारी है। गर्मी के मौसम में यह रोग अधिक फैलता है। समय-समय पर इसका प्रसार महामारी के रूप में भी होता है। यह सभी आयु वर्ग के लोगों को समान रूप में प्रभावित करता है।
जीवाणु-विब्रिओ कॉलेरी (Vibrio Cholerae)।

प्रश्न—मलेरिया रोग किस मच्छर से प्रसारित होता है ? तथा लक्षण बताइए।

उत्तर–मलेरिया रोग ऐनाफिलीज मच्छरों से प्रसारित होता है।
लक्षण–

1. प्रारम्भ में शारीरिक कमजोरी, हाथ-पाँव में दर्द और सिरदर्द होने लगता है।

2. फिर अत्यधिक ठण्ड लगकर बुखार आता है।
3. ठण्ड की अवस्था में रोगी को कँपकँपी बँध जाती है। यह अवस्था ½ घण्टे से 2 घण्टे तक रहती है।
4. उसके बाद ज्वर 103°F से 105°F तक पहुँच जाता है।
5. फिर पसीना आता है और ज्वर उतर जाता है।
6. परन्तु जी मिचलाने और वमन की शिकायत बनी रहती है।
7. इस प्रकार के ज्वर की शिकायत प्रतिदिन, दूसरे दिन या हर तीसरे दिन बाद होती है।

मलेरिया रोग
मलेरिया रोग

प्रश्न-परमाणु से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर–किसी तत्व का सूक्ष्म अंश जिसका रासायनिक अस्तित्व हो। इसकी संरचना नाभिक तथा इलेक्ट्रॉन से मिलकर होती है। नाभिक में न्यूट्रॉन तथा प्रोटीन होते परमाणु का आवेश शून्य होता है।

परमाणु
परमाणु

प्रश्न – निम्न का आविष्कार/खोज किसने की ?
इलेक्ट्रॉन, परमाणु संरचना, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन, परमाणु संख्या, परमाणु सिद्धान्त।

उत्तर–

        खोज                                            नाम                                                                     वर्ष
इलेक्ट्रॉन                                        जे. जे. थामसन                                                             1897

परमाणु संरचना                            बोर एवं रदरफोर्ड                                                          1913

प्रोटॉन                                           रदरफोर्ड                                                                      1919

न्यूट्रॉन                                           चैडविक                                                                        1932

परमाणु संख्या                               मोराले                                                                          1913

परमाणु सिद्धान्त                            डाल्टन                                                                         1803

प्रश्न–तत्व एवं उसके वर्गीकरण को समझाइए।

उत्तर-वे पदार्थ जो एक ही प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं, तत्त्व (Element) कहलाते हैं। तत्त्वों को प्रतीकों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। अब तक 119 तत्त्व खोजे जा चुके हैं । अलग-अलग तत्त्वों के परमाणुओं के गुणों में भिन्नता होती है। लेकिन किसी तत्त्व के सभी परमाणुओं के गुणों में समानता होती है।

जैसे-ऑक्सीजन, हाइड्रोजन आदि।
यौगिक (Compound)

दो या दो से अधिक तत्त्व निश्चित अनुपात में संयोग करके एक नया पदार्थ बनाते हैं,इसे यौगिक कहते है
गुण भिन्न-भिन्न होते हैं। यौगिक के सूत्र से उसमें उपस्थित विभिन्न तत्त्वों केपरमाणुओं की संख्या ज्ञात हो जाती है। जैसे—जल, नमक, ग्लूकोज, कैल्शियम, कार्बोनेटआदि।

प्रश्न- छाया तथा उपछाया को परिभाषित कीजिए।

उत्तर—छाया (Shadow) — जब किसी अपारदर्शी वस्तु को प्रकाश जाने वाले मार्ग में रख देते हैं तो वस्तु को आर-पार से रोक देती है जिससे वस्तु के दूसरी ओर प्रकाशहीन क्षेत्र बन जाता है। इस प्रकाशहीन क्षेत्र को वस्तु की छाया कहते हैं।
पृच्छाया (Umbra) और उपछाया (Penumbra)वस्तु  की छाया और मध्य भाग जो अधिक काला होता है प्रच्छाया (Umbra) कहलाता है  तथा प्रच्छाया के चारों ओर का सीमावर्ती कम काला भाग उपछाया (Penumbra) कहलाता है।

प्रश्न—आँधी के क्या लक्षण हैं ? लिखिए।

उत्तर – प्रायः पवनें या वायु, वायुदाब की भिन्नता के कारण चलती हैं। हवाएँ उच्चदाब से निम्न दाब तथा निम्न से उच्च दाब की ओर बहती हैं। यही हवाएँ विक्षोभ या चक्रवातों के प्रभाव से आकार विकराल रूप धारण कर लेती हैं, यही आँधी कहलाती हैं। ग्रीष्म ऋतु में यही हवाएँ आँधी के रूप में धूल और रेत भरी होती हैं इससे पेड़पौधों तथा जन-धन की हानि होती है। कभी-कभी घने जंगलों में आँधी के द्वारा पेड़ों
के आपस में रगड़ने से आग लग जाती है। जिससे जीव जगत के लिए भयानक स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

 

प्रश्न – भूकम्प क्या है ?

उत्तर – भूकम्प धरातल के ऊपरी भाग की वह कम्पन विधि है जो कि धरातल के ऊपरी अथवा निचली चट्टानों के लचीलेपन व गुरुवात्कर्षण की समस्थिति में न्यून अवस्था से प्रारम्भ होती है।

प्रश्न–मेण्डलीफ की आर्वत सारणी के दोष में ‘समस्थानिकों का स्थान’पर प्रकाश डालिए।

उत्तर—एक ही तत्व के वे परमाणु जिनके परमाणु द्रव्यमान भिन्न-भिन्न होते हैं, समस्थानिक कहलाते हैं।

 

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