Google ने 2024 में Willow Quantum Chip लॉन्च किया, जिसमें 105 क्यूबिट्स हैं। यह चिप क्वांटम कंप्यूटिंग की दुनिया में त्रुटि-सुधार और स्थिरता के नए मानक स्थापित कर रही है। जानिए Willow की तकनीकी विशेषताएँ, उपयोग, चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा।
Google Willow Quantum Chip: भविष्य की सुपर कंप्यूटिंग की दिशा में क्रांतिकारी कदम

Google Willow Quantum Chip:
🌌 गूगल का Willow क्वांटम चिप — भविष्य की सुपर कंप्यूटिंग की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम
परिचय
आज के युग में तकनीक इतनी तेज़ी से विकसित हो रही है कि कंप्यूटर की पारंपरिक सीमाएँ अब टूटने लगी हैं। पहले हम जिस दुनिया में 0 और 1 के द्विआधारी (Binary) बिट्स की बात करते थे, अब वही दुनिया “क्यूबिट्स” (Qubits) की ओर बढ़ रही है। यही क्वांटम कम्प्यूटिंग की नींव है।
इसी दिशा में, दिसंबर 2024 में Google Quantum AI टीम ने अपनी नई उपलब्धि — “Willow Quantum Chip” प्रस्तुत की। यह चिप सिर्फ़ एक तकनीकी अपडेट नहीं, बल्कि भविष्य के कंप्यूटरों के विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ है।
1. Willow चिप क्या है?: Google Willow Quantum Chip
Willow गूगल का नया Quantum Processing Chip है, जिसमें कुल 105 क्वांटम बिट्स (Qubits) हैं। यह गूगल के पुराने चिप्स — Sycamore और Bristlecone — के बाद अगली पीढ़ी का चिप है।
क्वांटम चिप्स साधारण कंप्यूटरों की तुलना में बहुत अधिक शक्तिशाली होते हैं, क्योंकि ये एक साथ कई स्थितियों (states) में काम कर सकते हैं। जहाँ एक पारंपरिक बिट केवल 0 या 1 होता है, वहीं एक क्यूबिट एक साथ 0 और 1 दोनों हो सकता है। यही सुपरपोज़िशन (Superposition) कहलाता है।
2. विकास की पृष्ठभूमि: Google Willow Quantum Chip
Google ने 2019 में पहली बार क्वांटम सुप्रीमेसी का दावा किया था, जब Sycamore चिप ने एक ऐसा गणना कार्य (calculation) किया था, जिसे करने में दुनिया के सबसे तेज़ सुपरकंप्यूटर को हज़ारों वर्ष लगते।
लेकिन तब से वैज्ञानिकों के सामने एक बड़ी समस्या थी — जैसे-जैसे क्यूबिट्स की संख्या बढ़ाई जाती, त्रुटियों (Errors) की मात्रा भी बढ़ जाती थी।
इसी चुनौती का समाधान Willow ने दिखाया। गूगल ने यह साबित किया कि अगर सिस्टम को सही ढंग से डिज़ाइन किया जाए, तो क्यूबिट्स बढ़ाने पर त्रुटियाँ घट सकती हैं। यही इस चिप की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
Google Quantum AI ने 9 दिसंबर 2024 को Willow चिप को सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया।
यह चिप 105 क्यूबिट्स (physical qubits) पर आधारित है।
पिछले चिप्स जैसे Sycamore के बाद यह अगला कदम है, और इसके जरिए Google ने यह दिखाने की कोशिश की कि क्वांटम कम्प्यूटिंग को बड़े पैमाने पर बनाने की दिशा में प्रगति हो रही है।
खास बात यह है कि Willow ने वह “प्रश्न” उठाया है जो लगभग 30 वर्षों से क्वांटम कम्प्यूटिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना जा रहा था — कैसे क्वांटम त्रुटियों (errors) को कंट्रोल में लाया जाए और स्केल-अप (क्यूबिट बढ़ाने) के बावजूद प्रदर्शन गिरने ना पाए।
3. क्वांटम कम्प्यूटिंग की मूल अवधारणा: Google Willow Quantum Chip
(क) क्वांटम बिट या क्यूबिट
क्यूबिट्स ऐसे सूक्ष्म कणों (जैसे इलेक्ट्रॉन, फोटॉन आदि) पर आधारित होते हैं जो क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का पालन करते हैं।
- सुपरपोज़िशन: एक क्यूबिट 0 और 1 दोनों स्थिति में एक साथ रह सकता है।
- एंटैंगलमेंट (Entanglement): दो क्यूबिट्स आपस में इस तरह जुड़ सकते हैं कि एक में बदलाव दूसरे को भी प्रभावित करे।
- डीकोहेरेंस (Decoherence): बाहरी व्यवधान (noise) के कारण क्यूबिट्स का असंतुलन होना, जिससे त्रुटियाँ उत्पन्न होती हैं।
इन सिद्धांतों का उपयोग करके क्वांटम कंप्यूटर लाखों संयोजनों की गणना एक साथ कर सकते हैं।
4. Willow की तकनीकी विशेषताएँ: Google Willow Quantum Chip
2.1 क्वांटम बुनियाद
- परंपरागत कम्प्यूटर्स बिट्स (0 या 1) का उपयोग करते हैं, जबकि क्वांटम कम्प्यूटर्स में क्यूबिट होते हैं, जो 0 और 1 दोनों की स्थिति में हो सकते हैं (सुपरपोजिशन) और अन्य क्वांटम गुण जैसे एंटैंगलमेंट का उपयोग कर सकते हैं।
- लेकिन वास्तविक समस्या यह है कि क्वांटम सिस्टम बहुत संवेदन शील होते हैं — बाहरी शोर (noise), ताप-चुंपीकरण (decoherence), क्यूबिट्स के बीच दोष (gate errors) आदि। इसलिए इन्हें नियंत्रित रखना अत्यंत चुनौतीपूर्ण है।
(क) संरचना और प्रदर्शन: Google Willow Quantum Chip
- Willow में 105 फिजिकल क्यूबिट्स हैं।
- यह एक ग्रिड संरचना (grid layout) में व्यवस्थित है, जिससे प्रत्येक क्यूबिट अपने आस-पास के क्यूबिट्स से सीधे जुड़ा रहता है।
- Google ने 3×3, 5×5 और 7×7 ग्रिडों पर परीक्षण किया और पाया कि जैसे-जैसे ग्रिड बढ़ता गया, त्रुटियों की दर कम होती गई।
- इसने “below error threshold” की स्थिति हासिल की, जिसका अर्थ है — यह सिस्टम अब इतना स्थिर है कि उस पर बड़े पैमाने पर डेटा-प्रोसेसिंग की जा सकती है।
Willow की खासियाँ: Google Willow Quantum Chip
- Willow ने एक महत्वपूर्ण माइलस्टोन पाया: “जब क्यूबिट्स की संख्या बढ़ाई जाती है, तो त्रुटियों (errors) की दर घट जाती है” — यानी स्केल-अप करते समय प्रदर्शन सुधर सकता है, जो पहले असंभव समझा जाता था।
- इसकी घोषणा में बताया गया कि Willow ने 3×3, 5×5, 7×7 क्यूबिट ग्रिड के प्रयोग किए और त्रुटियों की दर को आधा किया।
- इसके द्वारा एक बेंचमार्क (Random Circuit Sampling) सफलतापूर्वक चलाया गया, जिसमें कहा गया कि यह उस काम को– जो आज के तेज-सुपरकम्प्यूटर को लगभग 10 सेप्टिलियन (10^25) वर्ष लगते– कुछ ही मिनटों (≈5 मिनट) में कर लेगा।
(ख) गति और दक्षता: Google Willow Quantum Chip
Google के अनुसार, Willow चिप ने एक ऐसा कार्य पूरा किया जो आज के सुपरकंप्यूटर को करने में लगभग 10^25 वर्ष (10 सेप्टिलियन वर्ष) लगते, और यह कार्य केवल कुछ ही मिनटों में पूरा हुआ।
(ग) त्रुटि-सुधार प्रणाली
यह चिप क्वांटम Error Correction Code (Surface Code) का उपयोग करती है।
इस तकनीक से फिजिकल क्यूबिट्स मिलकर एक “लॉजिकल क्यूबिट” बनाते हैं, जिससे डेटा की सटीकता (accuracy) और स्थिरता (stability) बढ़ती है।
5. Willow की प्रमुख उपलब्धियाँ: Google Willow Quantum Chip
तकनीकी कमियाँ और सीमाएँ
- ध्यान देने योग्य: 105 फिजिकल क्यूबिट्स होने के बावजूद, वास्तविक रूप से “लॉजिकल क्यूबिट्स” (error-corrected क्यूबिट्स जो व्यावहारिक काम कर सकें) अभी काफी कम हैं।
- समीक्षकों का कहना है कि हालांकि यह एक बड़ी छलांग है, फिर भी व्यावसायिक, fault-tolerant क्वांटम कम्प्यूटिंग के लिए अभी बहुत काम बाकी है।
- Error Rate में कमी:
पहली बार किसी क्वांटम सिस्टम में क्यूबिट्स बढ़ाने पर त्रुटियाँ कम हुईं। - Stable Computation:
सिस्टम का संचालन अधिक समय तक स्थिर रहा, जिससे लंबी गणनाएँ संभव हो सकीं। - Quantum Supremacy का विस्तार:
Willow ने Quantum Supremacy को केवल प्रयोगशाला से निकालकर व्यावहारिक दिशा में आगे बढ़ाया। - Quantum Error Threshold प्राप्त करना:
यह एक ऐसा बिंदु है जहाँ से बड़े-पैमाने पर क्वांटम कंप्यूटर बनाना संभव होता है। Willow इस लक्ष्य के बहुत क़रीब पहुँच चुका है।

उपलब्धियाँ और महत्व: Google Willow Quantum Chip
- Willow ने प्रमुख रूप से त्रुटि-सुधार (error correction) के क्षेत्र में “नीचे थ्रेशोल्ड (below threshold)” की स्थिति तक पहुँचने का दावा किया है — इसका मतलब यह है कि स्केल बढ़ने पर त्रुटियों की दर कम हो रही है, जो क्वांटम कम्प्यूटिंग के बड़े पैमाने पर बढ़ने के लिए अहम है।
- यह उपलब्धि वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने दिखाया कि क्वांटम सिस्टम बढ़ने पर कम क्लासिकल (error-filled) नहीं, बल्कि अधिक “क्वांटम” हो सकते हैं।
- मीडिया व तकनीकी जगत में इसे एक मील का पत्थर माना जा रहा है — उदाहरण के लिए, यह कहा गया कि इसने उस कार्य को कुछ मिनटों में पूरा कर लिया जो आज के सुपरकम्प्यूटर को (सैद्धांतिक रूप से) 10^25 वर्ष लगते।
- इसके अलावा, यह संकेत देता है कि क्वांटम कम्प्यूटिंग अब शोध-प्रायोगिक स्तर से निकलकर “विश्लेषणात्मक प्रमाण” की दिशा में है, यानी वह सिर्फ प्रयोगशाला के चक-चौंध तक सीमित नहीं रहा।
6. Willow के संभावित उपयोग: Google Willow Quantum Chip
(क) दवा निर्माण (Drug Discovery)
क्वांटम कंप्यूटर जटिल अणुओं (molecules) की संरचना और उनके परस्पर क्रियाओं का तेज़ विश्लेषण कर सकते हैं। इससे नई दवाएँ और टीके खोजने में क्रांति आ सकती है।
(ख) नई ऊर्जा सामग्री (Energy Materials)
नए बैटरी-संयोजन, सौर-सेल और सुपरकंडक्टर डिज़ाइन में क्वांटम सिमुलेशन से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
(ग) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
भविष्य में क्वांटम-सक्षम AI मॉडल पारंपरिक AI से कहीं तेज़ और गहरे विश्लेषण कर पाएँगे। Willow इस दिशा में पहला व्यावहारिक कदम माना जा रहा है।
(घ) साइबर सुरक्षा (Cybersecurity)
क्वांटम कंप्यूटर मौजूदा एन्क्रिप्शन सिस्टम (RSA, ECC) को तोड़ सकते हैं। इससे “Quantum-Safe Cryptography” की जरूरत और भी बढ़ जाएगी।
(ड़) क्रिप्टोग्राफी और सुरक्षा (cryptography/security):
Willow जैसे चिप्स के प्रसार से वर्तमान एन्क्रिप्शन मानकों (जैसे RSA, ECC) को खतरा हो सकता है — हालांकि Google ने कहा है कि Willow अभी इस स्तर तक नहीं है।
7. Willow की सीमाएँ और चुनौतियाँ: Google Willow Quantum Chip
- स्केलेबिलिटी (Scalability):
105 क्यूबिट्स अभी भी बहुत कम हैं। व्यावहारिक क्वांटम कंप्यूटर के लिए लाखों लॉजिकल क्यूबिट्स की आवश्यकता होगी। - त्रुटि-मुक्तता (Fault-Tolerance):
सिस्टम को इतना विश्वसनीय बनाना कि किसी भी गणना में गलती न हो — यह अभी भी कठिन चुनौती है। - उच्च लागत:
क्वांटम चिप्स को अत्यधिक ठंडे तापमान (माइनस 273 °C के करीब) में संचालित करना पड़ता है, जिससे इसकी लागत और जटिलता बहुत बढ़ जाती है। - व्यावसायिक उपयोग की दूरी:
अभी तक Willow जैसे चिप्स शोध प्रयोगशालाओं तक सीमित हैं। इन्हें व्यावहारिक, उपभोक्ता-स्तर तक पहुँचाने में समय लगेगा। - सुरक्षा चिंताएँ:
भविष्य में जब ये सिस्टम पूरी तरह कार्यशील होंगे, तब डेटा एन्क्रिप्शन और गोपनीयता के नए खतरे सामने आएँगे।
8. Willow बनाम अन्य क्वांटम चिप्स: Google Willow Quantum Chip
| कंपनी | चिप का नाम | क्यूबिट्स | विशेषता |
|---|---|---|---|
| Willow (2024) | 105 | Error rate घटाने वाला पहला सिस्टम | |
| IBM | Condor (2023) | 433 | सबसे अधिक फिजिकल क्यूबिट्स वाला चिप |
| Intel | Tunnel Falls | 12 | Silicon-based क्यूबिट तकनीक |
| Rigetti | Aspen-M | 80 | हाइब्रिड क्वांटम-क्लासिकल आर्किटेक्चर |
| Quantinuum | H-Series | 56 | High-fidelity trapped-ion system |
इस तुलना से साफ है कि गूगल ने Willow के ज़रिए केवल क्यूबिट-गिनती नहीं, बल्कि गुणवत्ता और स्थिरता पर ध्यान दिया है।
9. भविष्य की दिशा: Google Willow Quantum Chip
Google के अनुसार Willow सिर्फ़ एक “मील का पत्थर” नहीं, बल्कि “रोडमैप की अगली सीढ़ी” है।
उनका उद्देश्य है —
Google ने कहा है कि Willow “एक महत्वपूर्ण कदम” है लंबे-कालीन रोडमैप में — यानी उनका उद्देश्य एक बड़े-दायरे की उपयोगी क्वांटम कम्प्यूटर बनाना है।
आगे का ध्यान निम्न बिंदुओं पर रहेगा:
- अधिक क्यूबिट्स और बेहतर क्यूबिट कनेक्टिविटी
- लॉजिकल क्यूबिट्स की संख्या बढ़ाना
- त्रुटि दर को और कम करना और त्रुटि-सुधार को प्रभावी बनाना
- क्वांटम सॉफ्टवेयर, एल्गोरिदम और क्वांटम-क्लासिकल हाइब्रिड मॉडल विकसित करना
व्यवसायों के लिए सुझाव: अभी के दौर में “क्वांटम तैयार होना” (quantum-ready) महत्वपूर्ण है — मतलब है कि कंपनियों को क्वांटम कम्प्यूटिंग के प्रभावों, जोखिमों व अवसरों को समझना चाहिए और रणनीति बनानी चाहिए।
- क्यूबिट्स की संख्या बढ़ाना (1000+ तक),
- लॉजिकल क्यूबिट्स को अधिक स्थिर बनाना,
- क्वांटम-सॉफ्टवेयर और एल्गोरिद्म विकसित करना,
- और क्वांटम-क्लासिकल हाइब्रिड मॉडल तैयार करना।
भविष्य में Google का लक्ष्य एक फॉल्ट-टॉलरेंट (Error-Free) क्वांटम कंप्यूटर बनाना है, जो व्यावसायिक उपयोग के लिए तैयार हो।
10. क्वांटम युग की संभावनाएँ: Google Willow Quantum Chip
Willow जैसे चिप्स यह संकेत देते हैं कि हम “क्लासिकल कंप्यूटिंग युग” से निकलकर “क्वांटम युग” में प्रवेश करने वाले हैं।
इससे विज्ञान, चिकित्सा, मौसम पूर्वानुमान, सुरक्षा, वित्त और शिक्षा के क्षेत्र में नई संभावनाएँ खुलेंगी।
भविष्य में ऐसी मशीनें संभव होंगी जो परमाणु स्तर की प्रक्रियाओं का सटीक विश्लेषण कर सकें — यानी आज के असंभव लगने वाले कार्य कुछ सेकंड में संभव हो जाएँगे।
11. निष्कर्ष: Google Willow Quantum Chip
Google Willow Quantum Chip आधुनिक विज्ञान और इंजीनियरिंग का एक अद्भुत उदाहरण है।
इसने यह दिखा दिया कि क्वांटम कम्प्यूटिंग अब केवल सिद्धांत नहीं, बल्कि व्यावहारिक सच्चाई बनने लगी है।
Willow ने साबित किया है कि यदि सही दिशा में अनुसंधान किया जाए, तो त्रुटियाँ घट सकती हैं, स्थिरता बढ़ सकती है, और क्वांटम तकनीक को व्यावहारिक बनाया जा सकता है।
भविष्य में जब Willow जैसी प्रणालियाँ और उन्नत होंगी, तब हम एक ऐसे युग में प्रवेश करेंगे जहाँ कंप्यूटर इंसान के सोचने की गति के बराबर काम करेंगे — और शायद उससे भी आगे बढ़ जाएँगे।
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