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राइट बंधुओं के आविष्कार से शिक्षक योग्यता तक: TET vs Non-TET बहस पर एक विचार

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राइट बंधुओं के आविष्कार से शिक्षक योग्यता तक: TET vs Non-TET बहस पर एक विचार

राइट बंधुओं के आविष्कार से शिक्षक योग्यता तक: TET vs Non-TET बहस पर एक विचार

TET vs Non-TET

LINK: Justice with senior teachers: वरिष्ठ शिक्षकों के साथ न्याय: अनुभव और शिक्षा की रीढ़ की रक्षा आवश्यक..

प्रेरणा और विकास की मिसाल: राइट बंधु: TET vs Non-TET


राइट बंधुओं ने जब हवाई जहाज़ का आविष्कार किया था, वह अपनी साधारणता में भी उस युग की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। अगर आज के आधुनिक विमानों से तुलना की जाए तो उनका मॉडल अल्पविकसित लगेगा, लेकिन उस समय उपलब्ध संसाधनों और विज्ञान की सीमाओं में यह डिजाइन “the best” था। आज उस हवाई जहाज़ को संग्रहालय में जगह मिली है, जिसे देखने के लिए लोग पैसे तक खर्च करते हैं।

शिक्षक की योग्यता: बदलते दौर की कसौटी
आज शिक्षकों की योग्यता पर जो बहस चल रही है – खासकर TET और Non-TET को लेकर – उसकी तुलना राइट बंधुओं के आविष्कार से की जा सकती है। उस समय हाईस्कूल या इंटर की योग्यता वाला व्यक्ति भी शिक्षक बनता था तो उसे समाज का क्रीम हिस्सा माना जाता था, क्योंकि उस युग में इतनी शिक्षा पाना आसान नहीं था। आज अगर कोई TET क्वालिफाइड है तो यह सराहनीय है, किंतु Non-TET को उपहास करना उसी तरह है जैसे राइट बंधुओं के विमान का मजाक उड़ाना।

TET vs Non-TET

TET: आवश्यकता नहीं, लेकिन जादू की छड़ी भी नहीं: TET vs Non-TET


TET कोई जादू की छड़ी नहीं है, न ही इसमें ऐसा कोई रॉकेट साइंस है जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित हो जाए। स्वयं सर्वोच्च न्यायालय ने 01 सितम्बर 2025 के निर्णय में कहा है कि TET लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षक वर्षों से पढ़ाते आ रहे हैं, और उनकी शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं है। TET के पाठ्यक्रम में भी वही बाल मनोविज्ञान, शिक्षण विधियां और विषयवस्तु है जो BTC या B.Ed. में पढ़ाई जाती है।

बदलाव की हकीकत: 14 वर्ष बाद की तस्वीर: TET vs Non-TET


अगर TET से वाकई क्रांति आ सकती थी, तो 2011 के बाद 14 सालों में बेसिक शिक्षा क्षेत्र में वह बदलाव दिखाई देना चाहिए था। लेकिन हकीकत में इस पर एक समुचित सर्वेक्षण के बाद ही निष्कर्ष निकालना चाहिए।

TET vs Non-TET: बंटवारा या मजबूती?: TET vs Non-TET


TET और Non-TET शिक्षक में बंटना अपने आप को कमजोर करना है। सेवा में आने के बाद उसके लाभों को किसी अतिरिक्त योग्यता से जोड़ना न्याय संगत नहीं है। सेवा में बने रहने या पदोन्नति के लिए किसी नई योग्यता का बोझ कर्मचारी पर नहीं डाला जा सकता। यह मांग प्रमुखता से रखनी होगी, वरना भविष्य की पीढ़ियों को भी नुकसान उठाना पड़ेगा और नौकरी सौभाग्य की जगह अभिशाप बन जाएगी।

निष्कर्ष: TET vs Non-TET


वर्तमान संदर्भ में TET श्रेष्ठता का पैमाना जरूर हो सकता है, पर Non-TET शिक्षकों के योगदान को कमतर आंकना अनुचित है। शिक्षक वर्ग को एकजुट रहना चाहिए और अपने हक की लड़ाई ज़िम्मेदारी व सम्मान के साथ लड़नी चाहिए

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