Justice with senior teachers: वरिष्ठ शिक्षकों के साथ न्याय: अनुभव और शिक्षा की रीढ़ की रक्षा आवश्यक..
Justice with senior teachers: वरिष्ठ शिक्षकों के साथ न्याय: अनुभव और शिक्षा की रीढ़ की रक्षा आवश्यक..

LINK: RTE एक्ट लागू होने से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टेट की अनिवार्यता से रखा जाए मुक्त: यूटा
वरिष्ठ शिक्षकों के साथ न्याय: अनुभव और शिक्षा की रीढ़ की रक्षा आवश्यक..
नमस्कार साथियो..🙏🏻
शिक्षा का क्षेत्र उन वरिष्ठ शिक्षकों के बिना अधूरा है जिन्होंने 20 से 30 वर्षों तक छात्रों के भविष्यों को सँवारने में अपना समर्पण और मेहनत दिखाई है। ऐसे अनुभवी शिक्षकों पर तलवार लटकाना न केवल अन्याय है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने जैसा है।
अनुभव को नजरअंदाज कर टीईटी (Teacher Eligibility Test) थोपना विभाग के लिए हानिकारक है। वरिष्ठ शिक्षक विभाग की रीढ़ की तरह हैं, और उन्हें तोड़ना शिक्षा की नींव को कमजोर करना है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर पुनर्विचार होना चाहिए। यह आदेश केवल उन्हीं शिक्षकों पर लागू होना चाहिए जिनकी नियुक्ति 2011 के बाद हुई, जब टीईटी अनिवार्य किया गया था। 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी थोपना न्यायसंगत नहीं है क्योंकि उस समय टीईटी की कोई व्यवस्था नहीं थी।

Justice with senior teachers
अगर कोर्ट यह निर्णय करता है कि टीईटी न होने पर प्रमोशन रोका जाएगा, तो वह समझने योग्य और उचित हो सकता है। लेकिन सेवा छोड़ने की शर्त लगाना न केवल कठोर बल्कि अव्यावहारिक भी है। यह फैसला उन शिक्षकों के हितों के प्रति लापरवाही दर्शाता है जिन्होंने वर्षों की सेवा में शिक्षा की गुणवत्ता को ऊपर उठाया है।
हमें अपने वरिष्ठ शिक्षकों के साथ मजबूती से खड़ा होना चाहिए और उनकी गरिमा एवं अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। अनुभव और सेवा को सम्मान देने का यही सही समय है ताकि शिक्षा का स्तंभ मजबूत बना रहे और आने वाले पीढ़ी के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित हो सके..!!
अजीत नौहवार
प्राथमिक शिक्षक, आगरा
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