
Inspirational:-पिता की ‘न’ से की नई शुरुआत, उधार के पैसों से बनाई वेबसाइट, आज है करोड़ों का कारोबार
A MOTIVATIONAL STORY[Inspirational]
Inspirational:-जयपुर से करीब 250 किलोमीटर दूर सरदारशहर राजस्थान का एक छोटा-सा कस्बा है, जो रंगीन प्रेरको पेंटिंग और नक्काशीदार लकड़ी के काम से सजी अपनी शानदार हवेलियों के लिए जाना जाता है। आज भी यह जगह अपनी अनोखी शीशम की लकड़ी के लिए मशहूर है। यहीं पर एक पुराने हवेलीनुमा घर के आंगन में कुछ कारीगर दिन भर शीशम की लकड़ी तराशते और. एक दुबला पतला लड़का उनके बीच खड़ा होकर टकटकी लगाए उन्हें देखता रहता। सालों बाद वहीं लड़का बड़े शहर पहुंचा। अच्छे कॉलेज में दाखिला लिया, अच्छी डिग्री हासिल की और लग गया नौकरी की जद्दोजहद में। पर उसके भीतर अब भी अपने आंगन की उस घिसाई अंदाई की आवाज गूंजती थी। एक दिन उस लड़के के मन में विचार आया कि अगर दुनिया में बाकी चीजें ऑनलाइन हो सकती हैं, तो फिर हमारे कारीगरों की मेहनत क्यों नहीं? कुछ दोस्त हंसे भी और बोले फर्नीचर भी ऑनलाइन बिकेगा भला? मगर उसने इन पर ध्यान न देते हुए एक वेबसाइट बनवाई। शुरुआती कुछ दिनों तक कभी ऑर्डर ही नहीं आते. कभी आते तो भरोसे की कमी के चलते ग्राहक उत्पाद वापस कर देते। तकनीकी दिक्कतें भी आई, और परिवार के भीतर भी फैसले को लेकर सवाल उठने लगे। लेकिन हर चुनौती को उसने एक सीख की तरह लिया। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाई और आज उसकी पहल ने न सिर्फ पारंपरिक कारीगरों को नई पहचान दी, बल्कि बिजनेस को एक वैश्विक ब्रांड के रूप में स्थापित किया। आज लोग उस लड़के को इनसराफ डॉट कॉम के संस्थापक रघुनंदन सराफ के रूप में जानते हैं। रघुनंदन की कहानी युवाओं के लिए एक संदेश है कि सीमित संसाधनों के बावजूद न सिर्फ बड़े सपने देखे जा सकते हैं, बल्कि उन्हें पूरा भी किया जा सकता है।
पिता को नहीं था भरोसा [Inspirational]
रघुनंदन सराफ ने सरदारशहर के एक स्थानीय स्कूल से कक्षा छह तक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने बारहवीं तक की पढ़ाई जयपुर के स्यान इंटरनेशनल स्कूल से की। रघुनंदन ने बारहयों के बाद दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बीकॉम किया और 2009 में एमबीए पूरा किया। उनका परिवार लगभग चालीस वर्षों से लकड़ी से बने फर्नीचर का कारोबार कर रहा था। व्यापार चल तो रहा था, पर वह सीमित ग्राहकों और पुरानी सौच की दीवारों में कैद था। उनके पिता और चाचा देश के अलग-अलग हिस्सों में फर्नीचर बेचते थे। 1998 तक परिवार ने फर्नीचर का एक्सपोर्ट करना भी शुरू कर दिया था। छोटे शहर से बिजनेस को बड़े पैमाने पर बढ़ाना आसान नहीं था। इसीलिए उन्होंने अपने पिता को सुझाव दिया कि धंधे में तकनीक का इस्तेमाल किया जाए और ऑनलाइन बिक्री शुरू की जाए, पर पिता ने मना कर दिया, क्योंकि उन्हें बेटे पर भरोसा नहीं था।
हजार कर्मचारियों की टीम [Inspirational]
रघुनंदन के भीतर बिजनेस में कुछ नया आजमाने का जया था। वह इसी रिटेल तक से जाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अपने दोस्ती में 50 हजार रुपये उधार लिए और 2014 में फैक्ट्री के एक कोने में छोटा सा ऑफिस बनाकर अनलाइन फर्निचर बेचने का काम शुरू किया इसके लिए उन्होंने एक वेबसाईट बनवाई उनका ऑफिस अब भी सरदार शहर मे ही है लेकिन पहले का यह फोटान्ना कोना अब एक बड़े और आधुनिक अंकित में बदल चुका है। शुरुआत में जहां सिर्फ तीन लोग काम करते थे. वहीं आज कंपनी में कनीन एक हजार कर्मचारी काम कर रहे है। खास बात यह है उनकी कंपनी में नौकडी कर्मचारी एलजीकैटरी समुदाय है।

बिजनेस के दो मॉडल [Inspirational]
Inspirational:-रघुनंदन साधक का सफर चुनौतियों से भरा रहा क्योंकि सरदारशहर जैसे छोटे शहर में लजिसटिक्स जैसी बुनियादी सुविधाये बेहद सीमित थी। उन्होंने अलग-अलग लॉजिस्टिक् कंपनियों को समझमया, उन्हें भरोसा दिलाय और की और उन्हें वहां काम शुरू करने के लिए तैयार किया। इसके साथ ही ऑनलाइन और विक्री और फर्नीचर को सुरक्षित तरीके से ग्राहकों तक पहुंचना भी एक चुनौती थी। इसके लिए उन्होंने एक सक्षम और भरोसेमंद टीम बनाई। आज वह 6,000 से ज्यादा उत्पाद क कारोबार करते हैं। इनको बिजनेस मॉडल पर चार है. पहला डायरेक्ट कज्यूमर जिसमें वेवसाइट के जरिये सीधे ग्राहकों को फनीवर बेचा जाता है और दूसरा बिजनेस बिजनेस, जिसके तहत होटल और रिसीट्स को फर्नीचर सप्लाई की जाती है।
युवाओं को सीख [Inspirational]
छोटे शहर से भी बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं।
परंपरा और नवाचार को मिलाकर सफलता हासिल करें।
चुनौतियों को अवसर में बदलने का हौसला रखें।
सीखते रहने और बदलते रहने की आदत साकलता दिलाती है।
लगन और मेहनत से कोई भी लक्ष्य पाया जा सकता है।
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