DISCREPANCY IN SUPREME COURT’S ORDER: CONFUSION OVER PRIMARY TEACHER RECRUITMENT OF B.ED AND BP.ED : सुप्रीम कोर्ट के आदेश में विसंगति: B.Ed और BP.Ed धारकों की प्राथमिक शिक्षक भर्ती पर उलझन
DISCREPANCY IN SUPREME COURT'S ORDER: CONFUSION OVER PRIMARY TEACHER RECRUITMENT OF B.ED AND BP.ED
DISCREPANCY IN SUPREME COURT’S ORDER: CONFUSION OVER PRIMARY TEACHER RECRUITMENT OF B.ED AND BP.ED : सुप्रीम कोर्ट के आदेश में विसंगति: B.Ed और BP.Ed धारकों की प्राथमिक शिक्षक भर्ती पर उलझन

सुप्रीम कोर्ट के आदेश में विसंगति: B.Ed और BP.Ed धारकों की प्राथमिक शिक्षक भर्ती पर उलझन
सुप्रीम कोर्ट ने ही अभी कुछ साल पहले decision दिया की B.ed वाले primary के लिए एलिजिब्ल् नही है तो टेट का फॉर्म ही नही भर सकते टेट कैसे पास करेंगे primary का।
जिनकी नियुक्ति 2000 से पहले हुई तब इंटर पास ही Btc करते है वह भी टेट का फॉर्म ही नही भर सकते।
बहुत पॉलिसी मैटर फंस सकता है सुप्रीम कोर्ट के दूसरे ऑर्डर ही contradiction करने लगेगे(B.ed वाले primary के elegible नही तो टेट दे ही नही सकते अब)।
अभी अब पुनर्विचार याचिका दायर की जा सकती है।
पूरे देश के शिक्षक प्रभावित हो रहे केवल उत्तर प्रदेश के नही।
बी.पी.एड्. वाले भी वर्तमान में प्राथमिक शिक्षक के लिए अपात्र घोषित किये गये हैं,ऐसे में वो भी टी .ई.टी. कैसे उत्तीर्ण करेंगे??
कुल मिलाकर इस आदेश में बहुत ही विसंगतियां हैं।कोर्ट का आदेश स्वयं में ही contra
Supreme Court का हालिया आदेश प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में कई विरोधाभास और नई चुनौतियां लेकर आया है, जिससे देशभर के शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और उसकी विसंगतियां
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि B.Ed डिग्री धारक अब प्राथमिक शिक्षक पद के लिए पात्र नहीं हैं, इस वजह से वे टी.ई.टी. (Teacher Eligibility Test) का फॉर्म भी नहीं भर सकते. यदि कोई उम्मीदवार टेट का फॉर्म ही नहीं भर सकता, तो वह टेट कैसे पास करेगा—इस मुद्दे पर नीति और न्यायिक व्यवस्था दोनों ही उलझ गई हैं. पुराने समय की नियुक्तियों (विशेषकर 2000 से पहले) के दौरान अक्सर इंटर पास होने के बाद BTC किया जाता था, ऐसे शिक्षक भी अब टेट के लिए आवेदन ही नहीं कर सकते, जिससे उनकी भविष्य की स्थिति अनिश्चित हो गई है.
नीति में विरोधाभास और पॉलिसी मैटर
कोर्ट का नवीनतम आदेश स्वयं में ही विरोधाभासी दिखाई देता है. एक तरफ B.Ed वालों को अयोग्य ठहराया गया है, दूसरी ओर नियुक्ति संबंधी पुराने मामलों में यह नियम लागू नहीं हो पा रहा है। यदि पुनर्विचार याचिका दायर होती है तो कोर्ट को पिछले और वर्तमान आदेशों के बीच उत्पन्न हो रहे विरोधाभासों को स्पष्ट करना होगा, अन्यथा शिक्षकों की स्थिति और अधिक जटिल हो सकती है.
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व्यापक असर—केवल यूपी नहीं, पूरे देश में
यह निर्णय मात्र उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं, बल्कि देशभर के शिक्षकों को प्रभावित कर रहा है. विभिन्न राज्यों में संबंधित डिग्रीधारकों की नियुक्ति प्रक्रिया अब संशय की स्थिति में है, और न्यायिक स्पष्टता के अभाव में हजारों उम्मीदवारों का भविष्य अधर में है.

बी.पी.एड (BP.Ed) धारकों की भी स्थिति अस्पष्ट
वर्तमान में BP.Ed डिग्री धारकों को भी प्राथमिक शिक्षकों के लिए अयोग्य घोषित किया गया है. ऐसे में वे भी टेट परीक्षा के लिए न तो आवेदन कर सकते हैं, न ही उसे उत्तीर्ण कर सकते हैं, जिससे खेल शिक्षक एवं शारीरिक शिक्षा के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों का भविष्य भी संकट में है.
पुनर्विचार याचिका–एकमात्र रास्ता
इन विसंगतियों को देखते हुए अब अनेक शिक्षक पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की योजना बना रहे हैं. उनका तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश कई समानांतर आदेशों के साथ contradictory है, और जब तक इन विषयों पर न्यायिक स्पष्टता नहीं आती, खराब नीति के चलते शिक्षकों का स्थायित्व खतरे में बना रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पैदा हुई विसंगतियों और विरोधाभासों के कारण शिक्षकों का भविष्य अस्थिर हो गया है. सर्वोच्च न्यायालय को अपने आदेशों में स्पष्टता एवं समन्वय लाना जरूरी है ताकि शिक्षक समुदाय के साथ न्याय हो सके.
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